चौरासी लाख योनियों में मानव सर्वश्रेष्ठ है-पंकज महाराज

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चौरासी लाख योनियों में मानव सर्वश्रेष्ठ है-पंकज महाराज

‘आपस में सब प्रेम बढ़ाओ! खिलकत को खुशहाल बनाओ।।, ‘रूहों पर रहम जो करता है! वही खुदा का प्यारा है।।, बाबा जयगुरुदेव का कहना है! शाकाहारी रहना है।।, शाकाहारी हो जाओगे! बीमारी से बच जाओगे।। आदि नारों के साथ इन्सानियत व रूहानियत का पैगाम देते हुये जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज अपनी जन जागरण यात्रा के साथ तहसील बिजौलिया के गांव चाँद जी खेड़ी पहुँचे। स्थानीय भाइयों, बहनों, बच्चें-बच्चियों ने पुष्प वर्षा, बैण्ड बाजा व कलश यात्रा के साथ भावपूर्ण स्वागत किया। आज यहां सत्संग सभा का आयोजन किया गया। जयगुरुदेव संगत राजस्थान के अध्यक्ष विष्णु कुमार सोनी, उपाध्यक्ष हरिनारायण गुर्जर ‘भोपा जी’ घनश्याम शर्मा (जहाजपुर), हीरालाल धाकड़ अध्यक्ष संगत चित्तौड़गढ़, मोहनलाल धाकड़ सरपंच, राधेश्याम ब्रह्मभट, वीरेंद्र पहाड़िया आदि ने पुष्पहार भेंटकर पूज्य पंकज जी महाराज का स्वागत किया।
श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते उन्होंने कहा चौरासी लाख योनियों में मानव सर्वश्रेष्ठ है। अन्य युगों की अपेक्षा कलियुग में मनुष्य की उम्र घट गई, मन में चन्चलता बढ़ गयी, प्राण अन्न में चला आया। इसलिये आत्मकल्याण के लिये पिछले युगों की साधनाओं को महापुरूषों ने रोककर ‘नाम’ की साधना यानि आकाशवाणी, अनहदवाणी को सुनकर सुरत (आत्मा) को उससे जोड़कर आत्म कल्याण का रास्ता जारी किया। इसी शब्द से जीवात्मायें प्रभु के देश से उतारी गई। इसी को पकड़ कर वापस जायेगी। यह आत्मा-परमात्मा का गूढ़ विज्ञान है जिसका भेद प्रभु की प्राप्ति वाले सन्त महात्मा, मुर्शिद कामिल ही जानते है। इसलिए आप सब आत्मा का धन कमा लीजिये जो मृत्यु के बाद आपके काम आयेगा। उन्होंने कहा शिक्षा के इतने विद्यालय, विश्वविद्यालय खुलने के बाद समाज में हिंसा और अपराध व्याप्त है। यह अशुद्ध खानपान के कारण है। जिस शराब के पीने से मां, बहन, बेटी की पहचान खत्म हो जाती है उसके पीने से कैसे जान सकेगें कि क्या अच्छा है, क्या बुरा है? महाराज जी ने कहा यदि आप राम, कृष्ण और महापुरूषों को मानते हैं तो उनके आदर्शों पर चलना सीखें। उन्होंने कभी नही कहा कि आप मांस, मछली, अण्डा, शराब को खायें-पीयें। सबका उपदेश ‘अहिंसा परमोधर्मः’ का है।
‘जयगुरुदेव’ नाम की महिमा सुनाते हुये उन्होंने कहा कि यह नाम समय का जागृत एवं सिद्ध नाम है। संकट की घड़ी में मददगार होगा। मौत के वक्त इस नाम को श्वांस-श्वांस पर याद करने पर मौत की पीड़ा कम होगी। ‘जयगुरुदेव’ नाम का जहाज हमारे गुरू महाराज बाबा जयगुरुदेव जी लगा कर गये हैं। इस जहाज पर जितने भी जीव चढ़ जायेंगे यह जहाज सबको पार उतारेगा। अभी आप क्या देखते हैं, ‘जयगुरुदेव’ नाम से ना जाने कितनी रूहें खेप की खेप भवपार चली जायेंगी। सारी दुनिया को शांति इसी नाम से मिलेगी। एक दिन सारी दुनिया ‘जयगुरुदेव’ नाम को याद करेगी। महात्मा सबको अपना समझते हैं।
महाराज जी ने आगे कहा जातियाँ कर्म के अनुसार बनी न कि जन्म से। इसलिये बिना जाति-पाँति के भेद किये भजन का रास्ता लेकर साधना करके आत्मकल्याण करें। आज समाज में परस्पर प्रेम सद्भाव की आवश्यकता है। प्रेम से मिल जुलकर जीवन यापन करें। अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनें। आगे कहा युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आती जा रही है। समाज में सभी प्रबुद्धजनों व समाज सेवियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनायें और अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनें, स्वयं शाकाहारी बनें व नशों का त्याग करें। यह आपकी बहुत बड़ी सेवा होगी।
उन्होंने जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के मुख्यालय आगरा-दिल्ली बाईपास मथुरा में आगामी 20 से 24 दिसम्बर तक आयोजित बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के गुरू पूज्यपाद स्वामी घूरेलाल जी महाराज ‘दादा गुरूजी’ के 75वें वार्षिक भण्डारा सत्संग-मेला में भाग लेने का सादर निमंत्रण दिया और कहा महापर्व पर पधारें दया दुआ आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस अवसर पर संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव, जयगुरुदेव आश्रम मथुरा के प्रबन्धक सन्तराम चौधरी, बिहार प्रदेश के अध्यक्ष मृत्युन्जय झा, दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष विजय पाल सिंह, अनिल कुमार सोनी जिला प्रवक्ता आदि कई संभ्रान्त जन मौजूद रहे। अगला सत्संग कार्यक्रम कल (आज) तह. माण्डलगढ़ के गांव जोजवा में सायं 4 बजे से आयोजित हैे।


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