24 सितम्बर को कर्मचारियों ने काले कपडे पहनकर बाजार में निकाली आक्रोश वाहन रैली
महासंघ के मांग पत्र की राज्य सरकार द्वारा अनदेखी से आक्रोशित हैं कर्मचारी
भरतपुर 24 सितंबर 2023। राज्य सरकार की संवाद हीनता, अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के 15 सूत्री मांग पत्र पर नकारात्मकता तथा नीतिगत दस्तावेज के कर्मचारी कल्याण का एक भी बिंदू लागू नही करने के विरोध में आक्रोशित कर्मचारियों ने काले कपड़े पहनकर चांदपोल गेट, प्रेम गार्डन रोड से कुम्हेर गेट होते हुए मुख्य बाजार में आक्रोश वाहन रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पर पहुंचे। जहां रैली सभा में बदल गई।
सभा की अध्यक्षता करते हुए महासंघ के संरक्षक हेमराज सिंह सिनसिनवार ने कहा कि नीतिगत दस्तावेज के कर्मचारी कल्याण का एक भी बिंदु लागू नही करने व राज्य सरकार महासंघ के मांग पत्र की लगातार उपेक्षा कर रही है।
महासंघ के जिला संयोजक राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि सरकार ने चुनाव से पूर्व जारी अपने घोषणा पत्र जिसको कैबिनेट की प्रथम बैठक में नीतिगत दस्तावेज बना दिया गया था, उसके एक भी बिंदु को लागू नहीं कर प्रदेश के कर्मचारियों से छलावा किया है। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों में आक्रोश है। प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री पवन शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार महासंघ के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर रोके गए महंगाई भत्ता को बहाल करे। तथा वेतन विसंगतियों को दूर करें।कृषि पर्यवेक्षक संघ के जिला अध्यक्ष पूरन सिंह फौजदार , ग्राम विकास अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण कौंरेर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गंगा सिंह गुर्जर,व जिला मंत्री जितेंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार सिर्फ कर्मचारी वेलफेयर करने का माहौल बना रही है जबकि वास्तविकता में एक भी कर्मचारी संवर्ग की वेतन विसंगति दूर नहीं की गई है, हजारों कर्मचारी कैडर स्ट्रेंथन की अपेक्षा पाले बैठे है तथा लाखों संविदा कार्मिको को नियमित करने के स्थान पर संविदा कार्मिक रखने के ही नए नियम बना दिए गए है। सहायक कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश जांगिड़, पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के अशोक शर्मा , पशुपालन सहायक तकनीक कर्मचारी संघ के महेश चंद , अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सहित महासंघ डीग के जिला अध्यक्ष मुन्नालाल , महासंघ भरतपुर के ब्लॉक अध्यक्ष भरत सिंह सिनसिनवार पटवारी ने कहा कि सरकार की वादा खिलाफी एवं संवादहीनता के कारण संयुक्त महासंघ आंदोलन को तेज करने जा रहा है।
18 सितम्बर 2023 से 23 सितम्बर तक विरोधस्वरूप लाखों कर्मचारीयों ने काले कपड़े पहनकर डयूटी दी।
कृषि स्नातक संघ के जिला अध्यक्ष जगत सिंह, महासचिव डा.सुनील चौधरी, ग्राम विकास अधिकारी संघ मुकेश गर्ग ने कहा कि कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर नहीं की गई लिखित समझौता को लागू नहीं किया गया। शासन एवं सरकार लगातार कर्मचारी संगठनों की उपेक्षा कर रही है। सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावी है जिसके परिणाम स्वरूप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की घोषणा के बाद भी हजारों तृतीय श्रेणी शिक्षको के स्थानान्तरण तक नही किए गए। सरकार महासंघ के 15 सूत्री मांग पत्र एवं स्वयं द्वारा घोषित नीतिगत दस्तावेज पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं कर रही जिसके कारण विवश होकर महासंघ को आंदोलन तेज करना पड़ा है।
सरकार एवं शासन के द्वारा विगत 5 वर्षों में आंदोलनरत विभिन्न संगठनों से समझौते तो किए गए हैं लेकिन एक भी समझौता लागू नहीं किया गया, जिससे महासंघ से संबद्ध 82 संगठनों में आक्रोश बना हुआ है।
महासंघ के संघर्ष में पुरजोर सहयोग का आश्वासन देते हुए सरकार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने महासंघ के मांग पत्र पर द्विपक्षीय वार्ता कर शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो आंदोलनरत महासंघ के आंदोलन को तेज करने में पूर्ण सहयोग देंगे।
यह है मुख्य मांगेः-
1. कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 26000/- किया जावे।
2. 9,18 एवं 27 वर्ष की सेवा पर माननीय मुख्यमंत्री की बजट घोषणा संख्या 155 के अनुसार एसीपी के स्थान पर 7,14,21, एवं 28 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति पद का वेतनमान स्वीकृत किया जावे।
3. विभिन्न कर्मचारी संगठनों से सरकार द्वारा किए गए समझौतों एवं सहमतियों को लागू किया जावे।
4. सहायक कर्मचारियों को एमटीएस घोषित किया जावे।
5. अध्यापकों (तृ.वे.श्रं.) के स्थानान्तरण किया जावें तथा सभी कार्मिकों के लिए पारदर्शी स्थानान्तरण नीति लागू की जावें।
6. ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों को ग्रामीण भत्ता स्वीकृत किया जावे ।
7. नियमित पदों पर संविदा कार्मिकों के भर्ती के लिए जारी संविदा नियम 2022 को प्रत्याहारित कर रिक्त पदों पर नियुक्त संविदा कार्मिकों/अस्थाई कार्मिकों को नियमित किया जावे।
8. विभिन्न संवर्गों की मांग के अनुसार उनके पद नाम परिवर्तन किए जावे (यथा एएनएम/ एलएचवी)।
9. प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों को शासन सचिवालय के समान वेतन भत्ते स्वीकृत किए जावे।
10. कर्मचारी संगठनों के धरना प्रदर्शन पर रोक के लिए सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक निर्णय कर जारी किए गए नो वर्क नो पे के आदेश दिनांक 05.10.2018 को प्रत्याहरित किया जावे।
सभी पदोन्नतियां टाईम स्केल के आधार पर करना।
कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर करना।
पेंशनर्स की पेंशन डायरी की लिमिट को 10,000/- रूपये से बढ़ाकर 20,000/- रूपये करना।