उपभोक्ताओं को नहीं दिया जा रहा बिल, टैक्स चोरी कर रहे व्यापारी

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लाखों करोड़ों की टैक्स चोरी जीएसटी के बाद भी हो रहा बिना बिल का कारोबार

उपभोक्ताओं को नहीं दिया जा रहा बिल, टैक्स चोरी कर रहे व्यापारी

प्रयागराज। ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। जनपद के यमुनानगर के अधिकांश व्यापारियों द्वारा जीएसटी के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। व्यापारी ग्राहकों द्वारा बिल नहीं मांगे जाने का बहाना बनाकर सामानों का बिल नहीं देते हैं तो वहीं ग्राहकों का मानना है कि यदि हम बिल नहीं लेंगे तो सामान सस्ता मिलेगा। आपको बता दें कि जीएसटी बिल लागू करते समय बड़े बदलाव की बातें कही जा रही थी, लेकिन प्रयागराज यमुना नगर के घूरपुर, जसरा, बारा, जारी , नारीबारी, शंकरगढ़, शिवराजपुर, लोहगरा सहित आसपास के कारोबारियों के पुराने ढर्रे पर ही सामान की बिक्री की जा रही है। ग्राहक चाहें जितने की खरीददारी कर लें उसे पक्का बिल नहीं दिया जाता।हद तो तब हो जाती है जब ज्यादा चतुर व्यापारी पक्के बिल के नाम पर सामग्री के दाम कुछ और बढ़ जाने की बात कहते हैं जिससे ग्राहक बिना बिल के संतुष्ट हो जाता है। कम पढ़े लिखे लोगों को बचत के नाम पर पक्का बिल देने की बजाये सादे कागज पर लिखकर दे दिया जाता हैं। दरअसल, बिलिंग के आधार पर ही सरकारी खजाने में टैक्स जमा होता है लेकिन व्यापारियों द्वारा टैक्स चोरी करने के लिए बिल नहीं काटे जा रहे हैं।आखिर कब वाणिज्यकर अधिकारी क्षेत्र में उक्त जायजा लेंगे । जो भी व्यापारी बिल नहीं दे रहे हैं क्या उन पर कार्रवाई की जाएगी यह अपने आप में बड़ा और अहम सवाल है।आयकर और वाणिज्य कर विभाग के द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर टैक्स चोरी करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है जो सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद से किसी भी कारोबारी के यहां विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। जबकि क्षेत्र में प्रतिदिन करोड़ों का व्यापार किया जा रहा है।शासन ने भले ही मेडिकल दुकानों में दवा खरीदने पर ग्राहकों को पक्का बिल देना अनिवार्य कर दिया है लेकिन इसका भी पालन क्षेत्र में नहीं हो पा रहा है। अधिकांश मेडिकल दुकानों के संचालक इसकी अनदेखी कर रहे हैं। दवा की खरीदारी पर पक्का बिल नहीं देकर सादी पर्ची पर सिर्फ दवा का दाम जोड़कर दे देते हैं। पक्का बिल मांगने पर दवा नहीं देने और परेशान करने लगते हैं। क्षेत्र में ड्रग इंस्पेक्टर भी जांच पड़ताल करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है।इसी तरह आभूषणों, इलेक्ट्रॉनिक, खाद-बीज, दवाईयां, किराना, गल्ला व्यापारी, आदि की दुकानों पर ग्राहक को अधिकांश जगह पर कच्चा बिल ही मिलता है लेकिन दुकानदार अपने रिकॉर्ड पर पक्के बिल ही काटता है। सूत्रों की मानें तो दुकानदारों द्वारा पक्का बिल इसलिए नहीं दिया जाता हैं कि सामान में गुणवत्ता संबंधित कोई समस्या हो तो बिल के आभाव में कहीं शिकायत का दावा भी नहीं किया जा सकता।
सबसे बड़ा सवाल कि क्या अब उपभोक्ताओं को बिल, टैक्स चोरी से बचा पाएंगे जिम्मेदार अधिकारी?क्यों कि क्षेत्र के अधिकांश व्यापारियों द्वारा जीएसटी के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।


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