ध्यान साधक मुनि सुरेश कुमार ने ली नियमित प्रवचन दायित्व से निवृत्ति
मुनि सुरेश कुमार का संलेखना साधना की दिशा में बढ़ा एक और कदम
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी/ जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती ध्यान साधक शासनश्री मुनि सुरेश कुमार हरनावा ने भाद्रपद के चतुर्दशी पर अपनी संलेखना साधना की दिशा में एक और अध्याय जोड़ते हुए प्रतिदिन प्रवचन के दायित्व से निवृत्ति ले ली। 66 वर्ष से जैन मुनि के रूप में देश के सभी राज्यों के 90000 किलोमीटर की यात्रा कर चुके मुनि सुरेश कुमार राजस्थान मारवाड़ के हरनावां गाँव के सेठ बुद्धमल व श्रीमती गेकी देवी के 9 भाई बहनों में सातवें पुत्र है।
विगत तीन वर्षों से मुनि एकांतवास व संलेखना साधना में तल्लीन है , प्रज्ञा शिखर महाप्रज्ञ विहार में चातुर्मास कर मुनि सुरेश कुमार ने आचार्य भिक्षु के 221 वें चरमोत्सव पर निवृत्ति की साधना की दिशा में आगे बढ़ने का अरिहंत सिद्ध और आचार्य के साथ अपने सहवर्ती मुनि संबोध कुमार मेधांश मुनि सिद्धप्रज्ञ की साक्षी से गुरुवार को विशिष्ट कार्यक्रम के अतिरिक्त नियमित प्रवचन करने के दायित्व से मुक्ति ले ली। उन्होंने चतुर्दशी पर मर्यादा पत्र का वांचन करते हुए कहा-तेरापंथ धर्मसंघ ने इन 66 वर्षों में मुझे बहुत कुछ दिया है। मैंने आचार्यों की दृष्टि की आराधना करते हुए स्वयं की आत्मसाधना करते हुए मानवता की निष्काम सेवा करने की कोशिश की है। अब केवल स्वयं के लक्ष्य कि सिद्धि के लिए निवृत्ति कि और जाना है ज्यादा समय ध्यान साधना में नियोजित करना है इसलिये ओपपचारिकताओं से मुक्त होने के लिए ये निर्णय ले रहा हूँ, दोनों सहवर्ती मुनि सक्षम है अबसे प्रवचन आदि के सभी दायित्व वे सम्भालेंगे।
उन्होंने तेरापंथ की पाँच मौलिक मर्यादाओं का वाँचन करते हुए सभी श्रावक श्राविकाओं को धर्मांध के प्रति निष्ठा रखने की हिदायत दी। मुनि सुरेश कुमार इन दिनों आहार में केवल पाँच द्रव्यों का प्रयोग करते है व 22 घंटे मौन रहते हुए ध्यान साधना करते है।
इस अवसर पर मुनि संबोध कुमार मेधांश ने मुनिकी साधना का परिचय प्रस्तुत करते हुए साधना की सिद्धि की मंगल कामना व्यक्त की। मुनि सिद्धप्रज्ञ ने भी विचार व्यक्त किए। तेरापंथ सभा अध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने श्रावक निष्ठा पत्र का वांछन करते हुए मुनि श्री की साधना के प्रति शुभकामनाएँ अर्पित की।