भगवान श्री राम ने अहिल्या को किया श्राप मुक्त

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मंगलवार को शाम 4 बजे बाजार में होकर निकलेगी राम बारात

कुम्हेर। स्वर्गीय श्री राम जी लाल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में चल रही 11 दिवसीय संगीतमयी भव्य श्री रामलीला कथा के तीसरे दिन अहिल्या उद्धार व परशुराम संवाद सुनाया। कुरुक्षेत्र से राम कथा को आगे बढ़ाते हुए ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास भगवान राम तथा लक्ष्मण जी को मांगने जाते है ताकि ऋषियों के यज्ञों को राक्षसों की तबाही से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने अपने राम अवतार में जहां पहले राक्षस ताड़का का वध किया, वहीं कृष्ण के अवतार में राक्षसी पूतना का वध किया था। जब भगवान राम ने राक्षसों का वध कर दिया तो ऋषि विश्वामित्र को महाराज जनक का न्योता मिला। जिसमें राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के स्वयंवर में उन्हें आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया। जब श्री राम ऋषि विश्वामित्र के साथ राजा जनक के पास जा रहे थे तो रास्ते में एक कुटिया में पत्थर की एक शिला नजर आई। भगवान श्री राम के पूछने पर विश्वामित्र ने बताया कि यह ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या है, जोकि श्राप के कारण कई वर्षों से पत्थर की शिला बन आपके आने की प्रतीक्षा कर रही है, क्योंकि इसका उद्धार श्री राम के चरण स्पर्श से ही संभव है। जिसको लेकर भगवान श्री राम दुविधा में पड़ गए कि वह क्षत्रिय होकर ऋषि की पत्नी को कैसे चरण स्पर्श कर सकते है। जहां तुलसी दास की रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने अपने चरण स्पर्श से अहिल्या का उद्धार किया। वहीं अध्यात्मिक रामायण में इस बात का वर्णन है कि भगवान श्री राम ने पवन देवता की सहायता से अहिल्या को श्राप से मुक्त किया था। जैसे ही भगवान श्री राम उस शिला के पास पहुंचे तो उन्होंने पवन देव को संकेत दिया। जिससे तेज हवा चली और भगवान श्री राम के चरणों की धूल शिला पर पड़ने से अहिल्या श्राप मुक्त हो गई। इस मौके पर विभिन्न प्रकार की झांकियां सजाई गई इस मौके पर रामलीला कमेटी के सहित कस्बे के लोग मौजूद थे


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