धड़ल्ले से हो रही हरे पेड़ों की कटाई जिम्मेदारों को नहीं सुनाई दे रही धमाकों की गूंज

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धड़ल्ले से हो रही हरे पेड़ों की कटाई जिम्मेदारों को नहीं सुनाई दे रही धमाकों की गूंज

कानों में स्वार्थ की रूई और आंखों में चढ़ा है भ्रष्टाचार का चश्मा

प्रयागराज। ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। वन परिक्षेत्र में अवैध हरे पेड़ों की कटाई का कार्य बेखौफ होकर किया जा रहा है। अवैध रूप से कटाई करने वालों ने वन परिक्षेत्र का सीना छलनी छलनी कर दिया लेकिन वन विभाग में पदस्थ जिम्मेदारों को दिखाई नहीं देता है और ना ही उन्हें परिक्षेत्र में होने वाली धमाकों की गूंज सुनाई देती है।वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सिर्फ कागजी खाना पूर्ति करके अपनी जिम्मेदारियां से इति श्री कर लेते हैं,क्योंकि उनके कानों में स्वार्थ की रूई और आंखों पर भ्रष्टाचार का चश्मा चढ़ा हुआ है। ग्राम पंचायत अंतर्गत आने वाले वन परिक्षेत्र में हो रहे अवैध हरे पेड़ों की कटाई से पूरा वन परिक्षेत्र प्रभावित हो रहा है। जिम्मेदारों की मिलीभगत से क्षेत्र की हरियाली बड़ी तेजी के साथ सफाचट हो रही है। वन विभाग कर्मचारी शासन से सरकारी वेतन लेने के बावजूद भी लकड़ी माफियाओं की गुलामी करने में लगे रहते हैं।। इलेक्ट्रानिक मशीन से हरे पेड़ों को काटकर रातों – रात लकड़ी माफिया लेबर के माध्यम से लकड़ी आरा मशीन पर उठा ले जाते हैं।वन विभाग के कर्मचारी और थाना पुलिस इस मामले को जानकर भी अनजान बनने का नाटक करते हैं। लकड़ी माफियाओं के द्वारा एक ही दिन रात में महुआ व सेमर के कई हरे पेड़ काटकर धाराशाही कर दिए गए लेकिन वन विभाग के कर्मचारी लकड़ी माफियाओं के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करते।इसी तरह का एक मामला शंकरगढ़ थाना क्षेत्र के बंधवा नैका गांव का है जहां पर दिन के उजाले में जिम्मेदारों की मिलीभगत से लकड़ी माफिया कई हरे पेड़ों को काटकर धाराशाही कर दिए। लेकिन लकड़ी माफियाओं के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करना तो दूर की बात ले देकर मामला रफा दफा कर दिया जाता है । शासन स्तर से वेतन लेने के बावजूद भी लकड़ी माफियाओं को रोकने में वन विभाग कर्मचारी असफल हैं। क्षेत्रवासियों ने आला अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पुरजोर मांग की है कि उच्चाधिकारी इस मामले को संज्ञान लेकर लकड़ी माफियाओं के साथ – साथ वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भी मुकदमा पंजीकृत कर कार्यवाही करें जिससे क्षेत्र में हरे पेड़ों के कटान में कमी आ सके।


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