भारत बंद को सफल बनाने के लिए मित्रपुरा तहसील पर किया संपर्क

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भारत बंद को सफल बनाने के लिए मित्रपुरा तहसील पर किया संपर्क

बौंली, बामनवास। श्रद्धा ओम त्रिवेदी। आज दिनांक 6 फरवरी 2024 को केंद्र सरकार की गौर पूंजीवादी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ मेहनत का आवाम के अधिकारों को रक्षा के लिए 16 फरवरी 2024 को ग्रामीण भारत बंद। आम हड़ताल को सफल बनाने मांगों को लेकर तहसील मित्र पुरा में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आवाहन पर 16 फरवरी भारत बंद को सफल बनाने के लिए राजस्थान किसान सभा जिला अध्यक्ष कांजी मीणा किसान नेता के नेतृत्व में आज कई गांव में दौरा किया और जगह-जगह श्रमिकों को किसानों को पंपलेट बांटे गए। भारत बंद सफल बनाने के लिए किसान सभा जिला अध्यक्ष कांजी मीना ने बताया कि हमारा देश गंभीर आर्थिक सामाजिक व और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। एक तरफ हमारे संविधान लोकतंत्र संघीय ढांचे और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर हमले किए जा रहे हैं। हमारे सदियों से चले आ रहे आपसी प्यार परस्पर सम्मान और भाईचारे को खत्म किया जा रहा है। तो दूसरी तरफ ऐसी आर्थिक नीतियां लाई जा रही है। जिनसे हमारी खेती किसानी उद्योग धंधे सब गहरे संकट में हैं और बर्बादी के कगार पर है। जिसका सीधा बुरा प्रभाव उनसे जुड़ी 80% ग्रामीण जनता पर पड़ रहा है। जिनकी आजीवी का उससे जुड़ी हुई है। महंगाई बेरोजगारी सातवें आसमान पर है।

सार्वजनिक क्षेत्र रेल बैंक बंदरगाह हवाई अड्डा जहाज सब बेचे जा रहे हैं। पेट्रोल डीजल खाद बीज कृषि यंत्र सब महंगे दामों पर मिल रहे हैं। खेती की लागत बढ़ रही है। और किसने की उपज के दम नहीं मिल रहे हैं। केंद्र सरकार की कृषि आयात निर्यात नीति पूरी तरह से किसान विरोधी है। प्राकृतिक आपदा फसलों को लगने वाली बीमारी, जैसे इस साल गुलाबी सुडी से नरमा कपास को हुआ नुकसानौ पशुओं को बीमारी जैसे गायों को लंबी की बीमारी किसान व पशुपालक की कमर तोड़ देते हैं। प्रधानमंत्री फसल योजना व अन्य बीमा पॉलिसी किसान हित में कम बीमा कंपनियों का मुनाफा देने में काम कर रही है। इन किसान विरोधी नीतियों की मार से किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। कृषि संकट का विपरीत प्रभाव खेती किसानी से जुड़े खेती हर मजदूर में अनेक ग्रामीण जनता पर पड़ रहा है और वह आत्महत्या करने को मजबूर है। अन्य आर्थिक नीतियों का परिणाम था कि केंद्र सरकार तीन कल कृषि कानून को लेकर आई। जिसका देश के किसानों ने आम अवाम के सहयोग से तीव्र विरोध किया और ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दबाव में भाजपा सरकार को तीनों काले कानून वापस लेने पड़े। तीनों कई कानून तो वापस ले लिए लेकिन कोऑपरेटिव घरों के पक्ष की नीतियां लगातार जारी रही है। किसान आंदोलन की समाप्ति पर केंद्र सरकार द्वारा दिए लिखित आश्वासन को केंद्र सरकार ने लागू नहीं किया। जिन किसानों पर से बने मुकदमे वापस लेने लखीमपुर खीरी के देशों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद की गारंटी का कानून बनाना शामिल था। जिस पर कोई अमल नहीं करके केंद्र सरकार ने वादा खिलाफी की है। अभी स्थिति यह है कि केंद्र सरकार कई जिंसों का समर्थन मूल्य तो तय करती है लेकिन सब की खरीद नहीं करती। कुछ दिल तो समर्थन मूल्य के दायरे में ही नहीं है। जैसे गवार, मोठ, आदि जिन फसलों की खरीद की स्वीकृति प्रदान की जाती है। उनका भी कुल उत्पादन का 25% खरीद का कोठा तय किया जाता है। जोकी पूरा नहीं किया जाता। गत वर्ष राजस्थान में यदि अकेले चने और सरसों की तरह सुधा खरीद पंजीकृत किसानों से कर ली जाती तो किसानों को 740 करोड रुपए ज्यादा मिलते। किसानों को चना 1100 रुपए और सरसों 950 रुपए कम में बेचनी पड़ी यही हाल इस वर्ष होने वाला है। ऐसी कई समस्याओं को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 16 फरवरी को भारत बंद करने का आह्वान किया है। अधिक से अधिक संख्या में जिले की जनता भारत बंद को सफल बनावे।


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