डीग 27 फरवरी – गुरु की बाणी ही हमे मोक्ष की राह पर ले जाती है। अशुभ योग से हमे शुभ योग की ओर ले जाती है। इसी लिए शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी बड़ा दर्जा दिया गया है। यह बात मंगलवार को डीग के भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में प्रवचन करते हुए जैन मुनि प्राकृताचार्य सुनील सागर महाराज ने कही।
उन्होंने कहा कि अनेक लोग इस संसार में जाते है और जाते है लेकिन जहाँ निग्रंथ तपस्वी, संतो के चरण पड़ते है । वहां के लोगो का ह्रदय परिर्वतन हो जाता है। गुरुवर की वाणी से हमने यह जाना कि दुनिया में सबसे सरल कुछ है तो निजपद पाना है। संसार के इस पंच परावर्तन में अनेक योनियों में परिभ्रमण करते हुए भी गुरु की वाणी सुनकर उसे अपने ह्रदय में धारण नहीं किया तो हमे फिर इस संसार में भटकना पड़ेगा जिस घर में निर्ग्रंथ तपस्वियों के चरण नही पड़ते उसे शमशान के समान बताया गया है । इस लिए जब भी तुम्हारे नगर में मुनिराज का संघ जाये तो शुद्ध भोजन बनाकर पड गाहन अवश्य करना चाहिए।
मुनि राज ने कहा कि मंदिर में चमत्कार प्रतिमा से नही होता है।बल्कि आपकी भक्ति और श्रद्धा में चमत्कार होता है। गुरु की वैयावृति कैसी हो तो भगवान श्री कृष्ण के जीवन से सीखो।जब मुनिराज उनके नगर में आये मुनिराज अवस्थ थे उन्हें औषधि देनी है तो कैसे दें क्योंकि मुनिराज ओषधि तो लेंगे नहीं क्योंकि औषधि लेने से उदिष्ट का दोष लगता है। इस लिए नारायण ने बहुत सारे लड्डू बनाये और उनमें ओषधि मिला दी और वह लड्डू पूरे नगर में वटवा दिये और मुनिराज का श्रावक के घर में पड़गाहन हुआ । तो श्रावक द्धारा आहार में मुनिराज को लड्डू दिए गए जिनसे मुनिराज स्वस्थ हो गए। वैया वृति के कारण उनको तीर्थकर प्रकृति का बंध हुआ ।
प्रारंभ में मंगलवार की प्रातः जैसे ही मुनि संघ ने गोवर्धन गेट से जल महलों की नगरी में प्रवेश किया जल महलों की नगरी में प्रवेश किया जैन समाज के लोगों ने अध्यक्ष गोपाल प्रसाद जैन के नेतृत्व में मुनि संसंघ का पद प्रक्षालन कर बड़ी श्रद्धा भाव उनका स्वागत किया ।
आहार चर्या के बाद
प्राकृताचार्य सुनील सागर महाराज अपने ससंघ सहित कामा के लिए विहार कर गए।
इस अवसर पर महावीर प्रसाद जैन महावीर प्रसाद जैन मनवीर जैन लक्ष्मीराम जैन हरी बाबू जैन राजेंद्र जैन ,कोका राम जैन ,विनोद जैन,वीरेंद्र जैन, अनिल जैन, सुनील जैन , भीख चंद जैन, पदम जैन, अशोक जैन,हरीश जैन,इंदर जैन, भारत जैन, प्रवीण जैन, नरेश जैन,तारा जैन,प्रकाश जैन सहित बड़ी संख्या में जैन समाज की महिलाए और पुरुष मोजूद थे।