शाहपुरा, पेसवानी। भारतीय शिक्षण परंपरा में शैक्षिक सत्रांत में दीक्षांत समारोह की व्यवस्था है। इसी व्यवस्था के अनुसार विद्या भारती के शाहपुरा में आदर्श विद्या मन्दिर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा दशम के छात्र-छात्राओं का दीक्षांत समारोह शुक्रवार को आयोजित हुआ। समारोह उद्घाटन मुख्य अतिथि एवं विद्यालय प्रबंध समिति पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्जवल कर किया गया। समारोह में कक्षा 10 के 125 विद्यार्थियों को मुंह मीठा करके परीक्षा में उत्र्तीण होने की शुभकामनाएं दी। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कौलेज प्राचार्य प्रो. पुष्करराज मीणा, विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रबन्ध समिति अध्यक्ष कन्हैया लाल वर्मा, कोषाध्यक्ष मुकेश तोषनीवाल एवं पत्रकार मूलचन्द पेसवानी मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि प्रो. मीणा ने कहा कि शिक्षा का अर्थ मात्र शिक्षित होना नहीं है बल्कि शिक्षा जीवन जीने की संपूर्ण कला और सामाजिक परिवर्तन की कुंजी भी है। दुनिया के सभी विचारकों ने शिक्षा को एक ऐसा सशक्त माध्यम माना है जिसके दम पर पूरी दुनिया को बदला जा सकता है।
मुख्य अतिथि मीणा ने कहा कि विद्या भारती के विद्यालयों द्वारा दी जा रही संस्कारवान एवं अनुशासित शिक्षा को सभी छात्रो को अपने जीवन में उतारना चाहिए।प्रो मीणा ने कहा कि आपने विद्या भारती के विद्यालय से जो सीखा है और उसे अपने जीवन मे उतार कर उसे समाजहित, देशहित, आभावग्रस्तों के लिए व मानवीय भावना के साथ जीवन यापन करना है। सीखे ज्ञान से देश का विकास व सभी विभागों में उपलब्धियां हासिल कर देश मे फैली सभी संमस्याओं का समाधान करना है।
इस मौके पर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल वर्मा ने छात्र-छात्राओं का प्रेरक मार्गदर्शन करते हुए लक्ष्य के प्रति दिशा निर्देश दिया। उन्होंने कहां कि शिक्षा से बुद्धि व मस्तिष्क का विकास होता है बल्कि दीक्षा से चेतना का विकास होता है। वर्मा ने सभी भैयाध्बहिनों को परीक्षा समय में क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए किस प्रकार पेपर को हल करना चाहिए और भी परीक्षा सम्बन्धित जानकारी देते हुए आगे चलकर अच्छे अंको से सभी उत्तीर्ण होवें ऐसी शुभकामना दी।
पत्रकार मुलचन्द पेसवानी ने आदर्श विद्या मन्दिरों को विद्यार्थियों के साथ साथ परिवारों के लिए भी संस्कार देने वाले केंद्र बताया। उन्होंने विद्यार्थियों से लक्ष्य आधारित कार्य करने का आव्हान किया।
प्रधानाचार्य दुर्गा लाल जांगिड़ ने कहां कि दीक्षांत का उद्देश्य ब्रह्मचर्य, अनुशासन, जिज्ञासा, श्रद्धा, अपने बुद्धि,ज्ञान को सकारात्मक दिशा में लगाना होता हैं। समारोह का समापन वन्दे मातरम के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत अशोक शर्मा, मोहन लाल कोली, बबलेश शर्मा द्वारा किया गया। समारोह में भैया नवीन वर्मा, सुनील प्रजापत, वसीम मोहम्मद, सविना सुवालका, कविता कुमावत ने अपने अपने अनुभव कथन रखें। कार्यक्रम का संचालन अशोक कुमार शर्मा द्वारा किया गया।