ग्वालन टोल बना मनमोहन रंग अबीर गुलाल उडावै
कामां। कस्बे के कोट ऊपर स्थित बाबा लालदास महाराज के मंदिर पर ब्रजवानी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महंत जमुना गिरी महाराज ने की और विशिष्ट आतिथ्य रामकिशन सैनी थे।
काव्य गोष्ठी में रेवती प्रसाद जांगिड़ ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की साथ ही गोविंद बृजवासी ने ले लो आशीष बुजुर्गों का यार होली में रचना प्रस्तुत की कैलाश सोनी स्वर्णिम ने कुछ इस तरह अपनी बात कही भरी गगरिया मेरी सिर पै ही फोड़ दई रचना से खूब तालियां बटोरी। वहीं पवन पाराशर ने कबहु बजाय बंसी कबहू मोर बनै रचना सुनाई। ताराचंद प्रेमी ने होरी खेलै नंदलाल संग लावै ग्वाल बाल चलै अटपटी चाल सुनाई। वही कमल सिंह कमल ने ग्वालन टोल बना मनमोहन रंग अबीर गुलाल उडावै रचना सुनाकर फागुन के रंग बिखेरे। पंकज पाराशर ने सुन री यशोदा मैया तेरौ ऊधमी कन्हैया भोरी हम गोपिन कूं भारी उकतावै है। रेवती प्रसाद जांगिड़ ने फागुन कौ ढप ढोल बजौ सब वेग चलौ ब्रजराज बुलावै रचना सुनाई। रामकिशन सैनी ने बसंती चूंदर रंगबाय दे मेरे जोवन पै आई है बहार। साथ ही दुलीचंद लोधा ने अपने अंदाज में यूं कहा चीर चुरा बनबारी चढौ कदम्ब की डारी रचना प्रस्तुत की। हेमेन्द्र भारतीय ने कहा जब ते गये हैं चितचोर छोड़ विरहा में नैनन सौं नीर बहै रुक नाय पावै है रचना सुनाकर खूब तालियां बटोरी।