जयपुर 14 मार्च। उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने कहा है कि रविंद्र रंगमंच हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा है। आधुनिकीकरण करने के साथ ही कला और संस्कृति के बड़े आयोजन कर रविन्द्र रंग मंच की शानदार विरासत को पुनर्जीवित किया जाएगा।
उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी जयपुर के रामनिवास बाग स्थित रविंद्र मंच पर 13 से 16 मार्च तक चल रहे रंग उत्सव में उक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रविन्द्र मंच की एक शानदार विरासत रही है। किन्तु अब यहां वो रौनक नजर नहीं आती जो पहले कभी हुआ करती थी। यहां कि ढाचागत व्यवस्थाओं का नवीनकरण किया जाना आवश्यक है। जिससे यहां भव्य रूप से कला संस्कृति के आयोजन हो तथा रंग मंच की शानदार विरासत पुनर्जीवित हो सके। यहां पर लोकल कलाकारों को बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे विभिन्न् कलाओं का नियमित रूप से मंच प्राप्त हो सकेगा। इसके लिए रंग मंच का आधुनिकीकरण किया जाएगा। अगली बार यहां रंग उत्सव जैंसे बड़े स्तर पर आयोजन किए जाने का क्रम निरन्तर जारी रखने के प्रयास किए जाएंगे।
दिया कुमारी ने इस रंग उत्वस में लगी स्टॉल्स रंग उत्सव में पारंपरिक कलाओं के विभिन्न उत्पादों की कलात्मक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होनं प्रदर्शनी की विभिन्न स्टॉल्स में कठपुतलियां, हाथी घोड़े के खिलौने, ब्लू पॉटरी का सामान, अन्य कई कलात्मक आकर्षक उत्पाद देखें। चित्रकारी करते हुए चित्रकार, कच्ची मिट्टी से चाक पर मिट्टी के बर्तन कुम्हार, कैलीग्राफी की स्टॉल देखी और कलाकार की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन किया।
उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने रविन्द्र मंत्र भवन का अवलनोकन कर प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ और रविन्द्र मंच की प्रबंधक श्रीमती सोविला माथुर का आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान उप मुख्यमंत्री ने बाइस्कोप देखा तथा अन्य कला कृतियों को देखकर उनकी प्रशंसा करते हुए कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
रंग उत्सव में पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने रंग उत्सव को जयपुर के इस सांस्कृतिक विरासत केन्द्र रविन्द्र मंच की ओर जयपुर वासियों को फिर से जोड़ने का प्रयास बताया। इस अवसर पर आरटीडीसी की प्रबंध निदेशक श्रीमती अनुपमा जोरवाल भी उपस्थित रही।
विश्व प्रसिद्ध राजस्थानी कठपुतली कलाकार रंग उत्सव में अपनी जादुई कला के रंग बिखेरते हुए दिखाई दिए। राजस्थानी लोकगीतों पर कठपुतली नृत्य दर्शकों को अपनी और आकर्षित किया। यहां पर छोथमल भाट कठपुतली कलाकार ने युवक युवतियों को कठपुतली कला सिखाई।