कांटे की टक्कर में अरुण गोविल को मिलेगा प्रभु राम का सहारा

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मेरठ। लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जोरदार तैयारी से जुटी है।उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में अधिकतर सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।कई लोकसभा में प्रत्याशी बदल दिए गए हैं।इन्हीं में से एक लोकसभा मेरठ है।यहां से भाजपा ने रामायण धारावाहिक में प्रभु श्रीराम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है।अरुण गोविल ने दशकों पहले मुंबई जाकर फिल्मी दुनिया में नाम रोशन की ठानी थी।समूचे देश में अरुण गोविल प्रभु राम के किरदार से चर्चित हुए।शायद इसे ही कहते हैं जन्मभूमि का चुंबक।जन्मभूमि का चुंबक अरुण गोविल को अपनी ओर खींच कर ले आया।मेरठ में जन्मे अरुण गोविल दशकों पहले सिनेमा जगत में नाम रोशन करने के लिए मुंबई रवाना हुए।संघर्ष के बाद कई फिल्मों में काम मिला, पहचान मिली, लेकिन रामानंद सागर के रामायण धारावाहिक में राम की भूमिका ने अरुण गोविल को घर-घर का श्रीराम बना दिया। 90 के दशक में अरुण गोविल इतना विख्यात हुए कि घर-घर में उनकी पूजा होने लगी।अरुण गोविल मुंबई में ही बस गए, लेकिन जन्मभूमि का चुंबक उन्हें वापस इसी धरती की सेवा करने के लिए ले आया।अरुण गोविल को भाजपा ने मेरठ से प्रत्याशी बनाया है।अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1952 को मेरठ कैंट में हुआ था।पिता जलकल विभाग में तैनात थे।अरुण की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई सरस्वती शिशु मंदिर, पूर्वा महावीर और राजकीय इंटर कॉलेज से हुई।सहारनपुर और शाहजहांपुर में अरुण की शिक्षा हुई। अरुण ने अपनी औपचारिक शिक्षा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्राप्त की। अरुण ने इंजीनियरिंग विज्ञान में अध्ययन किया और कुछ नाटकों में अभिनय किया। अरुण के पिता चाहते थे कि वह एक सरकारी कर्मचारी बने, जबकि अरुण कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसके लिए उन्हें याद किया जाए।अरुण छह भाई और दो बहनों में चौथे नंबर के हैं। अरुण ने अभिनेत्री श्रीलेखा से शादी की है। अरुण के दो बच्चे हैं,सोनिका और अमल। 17 साल की उम्र में अरुण बिजनेस के सिलसिले में मुंबई गए और अभिनेता बनने के लिए संघर्ष शुरू किया। 1977 में आई फ़िल्म पहेली से शुरुआत हुई। अरुण घर-घर लोकप्रिय भले ही रामायण धारावाहिक से हुए, लेकिन बड़े पर्दे पर अरुण काफी पहले 1977 में आई फिल्म पहेली से डेब्यू कर चुके थे।ये फिल्म पारिवारिक फिल्में बनाने वाले प्रोडक्शन हाउस राजश्री प्रोडक्शंस की थी।प्रभु राम के किरदार ने अरुण को आम से खास बना दिया था। रामायण के बाद अरुण टीवी इंडस्ट्री में सक्रिय रहे और बाकी कई पौराणिक धारावाहिकों में अभिनय किया।इनमें लव-कुश, विश्वामित्र और बुद्धा नाम के टीवी शो में राजा हरिश्चंद्र का किरदार भी निभाया।टीवी पर अरुण का दूसरा लोकप्रिय किरदार रहा,विक्रम बेताल का राजा विक्रम।इस शो और अरुण के किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया।अरुण ने श्रद्धांजलि, इतनी सी बात,जियो तो ऐसे जियो,सावन को आने दो जैसी कई फिल्मों में भी नजर आए।अभिनेता से नेता बने अरुण की दूसरी पारी कितनी सफल होती है इस पर सभी की निगाहें रहेंगी।मेरठ लोकसभा चुनावी रण दिलचस्प रहने वाला है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल केवल 4729 वोटों से जीते थे। राजेन्द्र अग्रवाल ने सपा के याकूब कुरैशी को पराजित किया था।इस चुनाव में सपा और बसपा ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।इसलिए चुनावी रण में मुकाबलि कड़ा हो गया था। 2014 में भी राजेंद्र अग्रवाल चुनाव जीते थे।उस वक्त मार्जिन 2.32 लाख वोटों का था।


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