जन जन की यही पुकार प्रयागराज 52 संसदीय क्षेत्र से नीलम उदयभान करवरिया अबकी बार-क्षेत्रवासी

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प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। जनपद के यमुनानगर के क्षेत्र वासियों का कहना है कि जन सेवा में निरंतर क्षेत्र में बनी हुई हैं नीलम उदयभान करवरिया भाजपा शीर्ष नेतृत्व को गहराई से विचार करना चाहिए। हाला कि ऐसे में कई नामों की चर्चा है जो कभी क्षेत्र में दिखते नहीं थे अब वह भाजपा का अपना बड़ा चेहरा दिखाने में कोई कोर कसर छोड़ते नहीं दिख रहे हैं। अब देखना यह होगा कि बीजेपी किसको अपने पार्टी का प्रत्याशी बनाती है क्योंकि चुनावी ऐलान की तारीखों के मुताबिक छठे चरण में आगामी 25 मई को प्रयागराज संसदीय सीट का चुनाव होना तय है।मेजा की पूर्व विधायक नीलम करवरिया एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हैं जिनका प्रयागराज ही नहीं बल्कि प्रयागराज मंडल के कई जिलों में आजादी के समय से ही वर्चस्व रहा है। दो दशक पूर्व इनके परिवार का नाम जिले की राजनीति में अग्रगण्य हुआ करता था।खास बात यह है कि नीलम करवरिया के पति उदय भान करवरिया का उदय ही भारतीय जनता पार्टी से हुआ है।उदयभान करवरिया को सर्वप्रथम 2002 में बारा विधानसभा से उस वक्त भाजपा का टिकट मिला जब लगातार तीन पंचवर्षीय से बसपा के खाते में यह सीट दर्ज थी और उन्होंने पार्टी को सीट जीत कर दी।जबकि प्रयागराज ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों में भाजपा का कोई प्रत्याशी विधानसभा में विजयी नहीं होता था। फिर 2007 में लगातार दूसरी बार बारा से विधायक चुने गए। सन् 2012 में बारा विधानसभा आरक्षित होने के बाद उदयभान करवरिया को शहर उत्तरी से भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया हालांकि कुछ ही वोटो से उदयभान करवरिया को हार का सामना करना पड़ा था। फिर 2017 में उदयभान करवरिया को मनमाफिक मेजा विधानसभा से भाजपा का टिकट मिला और पहली बार मेजा में भी नीलम उदयभान करवरिया के नेतृत्व में कमल खिला।हाल में हुए 2022 विधानसभा चुनाव में भी करवरिया नाम का अस्तित्व कायम रहा और नीलम उदयभान को टिकट मिला।पिछले पांच विधानसभा चुनावों में लगातार भाजपा का टिकट मिलना यह प्रदर्शित करता है कि उदयभान करवरिया का नाम भाजपा संगठन में शीर्ष पर रहा है। वहीं क्षेत्र वासियों का कहना है कि वर्तमान लोकसभा चुनाव में यदि भाजपा शीर्ष नेतृत्व गहनता से विचार विमर्श ना करके अगर नीलम उदयभान करवरिया की जगह पार्टी किसी और को अपना उम्मीदवार बनाती है तो प्रयागराज 52 संसदीय लोकसभा सीट से पराजय के रूप में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।


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