सवाई माधोपुर 10 मई। सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा अक्षय तृतीय के अवसर पर प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की मुनि अवस्था में हुई प्रथम आहार चर्या को दान दिवस के रूप में मनाया गया।
इस मोके पर चमत्कार मंदिर के पंडित आशीष जैन शास्त्री ने जैन धर्म में अक्षय तृतीया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ मुनि दीक्षा लेने के पश्चात छः माह के उपवास की प्रतिज्ञा लेकर ध्यान मग्न हो गये। साधना उपरांत वे आहार हेतु निकले किन्तु मुनियोचित आहार विधि का ज्ञान न होने के कारण कोई उन्हें आहार नहीं दे सका। मुनियोचित आहार न मिलने पर उन्हें एक वर्ष 13 दिन तक निराहार रहना पड़ा। जब मुनि प्रयाग से विहार करते हुए हस्तिनापुर पहुँचे तो हस्तिनापुर नरेश सोमप्रभ के छोटे भाई राजा श्रेयांश ने उन्हें अपने महल से देखा और उन्हें पूर्व जन्म में दिये आहार दान की विधि का स्मरण हो आया और उन्होंने भगवान को नवधा भक्तिपूर्वक पड़गा कर 16 दोषों से रहित इक्षु रस का शुद्ध आहार दिया। वह पुण्य दिवस वैशाख शुक्ल तृतीया था। आदिनाथ प्रभु को सर्वप्रथम आहार दान के कारण यह पवित्र दिन अक्षय तृतीया के रुप में एक शाश्वत पर्व के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि इस अवसर पर आलनपुर स्थित दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कार परिसर में समाज सेवी मनोज जैन पल्लीवाल के संयोजन में एवं शहर के जैन मोहल्ला स्थित निर्यापक श्रमण मुनि सुधा सागर संयम भवन में समाज अध्यक्ष अशोक जैन बड़जात्या के निर्देशन व समाज के प्रातःकलीन भ्रमण दल के संयोजन में लोगों को विनयपूर्वक इक्षु रस पिला कर आहार दान दिवस को सार्थक किया।