47.5 डिग्री / हलैना
तपती धरती व सूरज की उगलती आग में सन्त कर रहे अग्नि तप
हलैना, आसमान से सूरज की उगलती आग एवं तपती धरती पर अद्र्नग्न शरीर और सिर पर आग का जलता खफ्पर व चारों ओर अंगारे की आग तथा 47 डिग्री से अधिक तापमान के मध्य कई स्थान पर सन्त अग्नि तपस्या कर रहे है,जिसे ऐसे सन्तोें की हठधर्मी कहे या धर्म की आस्था। सन्तों की अग्नि तपस्या भीषण गर्मी व गर्म हवाएं कुछ नही बिगाड रही है। आस्था से भरपूर ये तपस्या भीषण गर्मी पर भारी पड रही है। भुसावर व वैर उपखण्ड क्षेत्र से गुजरने वाली बाणगंगा नदी एवं उसके किनारे बसे गांवों के आसपास कई सन्त अग्नि तपक रहे है। गांव जहानपुर के चारागाह भूमि पर अग्नि तप कर रहे सन्त मानदास महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में अग्नि व जल आदि तप कठोर तप है। अग्नि तप गर्मी एवं जल तप सर्दी के मौसम किया जाता है। विश्वशान्ति व मानव कल्याण के उद्देश्य से पिछले कई वर्षो से अग्नि तप किया जा रहा है। इसी प्रकार से झारोठी,धरसौनी,खेरलीगुर्जर आदि स्थान पर कई सन्त अग्नि तप कर रहे है। हलैना के बनखण्डी आश्रम के श्रीमहन्त रविनाथदास महाराज ने बताया कि तप करने से इंसान को आत्मशान्ति प्राप्त होती है और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार होता है। साथ लोगों में देशभक्ति,समाज व मानव सेवा के भाव जागरूक होते है।