शाहपुरा |शाहपुरा नगर के खान्या के बालाजी मंदिर परिसर में बालाजी के सानिध्य में चल रही श्रीमद भागवत व तीन दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा का समापन शनिवार 26 मई को होगा।
महंत रामदास त्यागी ने बताया कि लाड़देवी गुर्जर, सोपुरा की ओर आयोजित कथा के छठे दिन कथा वाचक पं. देवकृष्ण शास्त्री, भीलवाडा ने धर्म पंडाल में भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मणि विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी थी। वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि मानव अपने जीवन में अपने धन को सत कार्यो में लगाये तो लक्ष्मी अन्न, धन के साथ घर में निवास करती है। उन पर भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। कृष्ण रुक्मणि विवाह संवाद के दौरान श्रृद्धालुओं द्वारा संजीव झाकियों में कथा श्रवण कर रहे श्रृद्धालुओं ने भाग लिया। कथा में कृष्ण के अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया।
नानी बाई का मायरा कथा=
मंदिर परिसर में गुरूवार देर सायं पं. देवकृष्ण शास्त्री ने तीन दिवसीय भक्तमाल रचित नानी बाई रो मायरो की कथा का शुभारंभ करते हुए भक्तों को कथा श्रवण करवाई। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड पडे़। पं. शास्त्री ने कथा का महत्व बताते हुए व्यास पीठ से नानी बाई रो मायरो कथा को अटूट श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादायी कथा बतायी और कहा कि कलियुग में भगवान की सेवा पूजा सभी भक्तों को अपने जीवन में करनी चाहिए। भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वे अपने भक्तों की रक्षा करने स्वयं आते हैं।
इस दौरान मंदिर परिसर में पं. भैरूलाल शास्त्री, पं. सूर्य प्रकाश शास्त्री रूपपुरा के सानिध्य में विशेष पूजा व अनुष्ठान संपन्न करवाये जा रहे है।