विकसित राजस्थान-2047 के तहत कृषि विभाग द्वारा जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित कृषि विभाग की योजनाओं की दी जानकारी
सवाई माधोपुर, 10 जून। विकसित राजस्थान-2047 के तहत कृषि विभाग सवाई माधोपुर द्वारा सोमवार को कृषि, उद्यानिकी, कृषि विपणन, पशुपालन, डेयरी के हितधारक यथा विभागीय अधिकारी, वैज्ञानिक, प्रगतिशील कृषक, कृषि उद्यमी, किसान संगठन एवं गैर सरकारी संस्थान के प्रतिनिधियों के विकसित राजस्थान-2047 के तहत सुझावों के लिए जिला स्तरीय परामर्श कार्यक्रम का आयोजन जिला प्रमुख सुदामा मीना की अध्यक्षता में फूल उत्कृष्टता केन्द्र सवाई माधोपुर के प्रशिक्षण सभागार में किया गया, जिसमें कृषि हितधारकों व अधिकारियों के सुझावों को एकत्रित किया गया।
कार्यक्रम में कृषि विभागीय अधिकारी, उद्यानिकी अधिकारी, कृषि समयबद्ध विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी यथा कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि उपज मण्डी समिति, कृषि बीमा कम्पनी प्रतिनिधि, पशुपालन व डेयरी विभाग, कृषि विपणन विभाग के अधिकारियों व विभिन्न प्रगतिशील कृषकों, कृषि उद्यमियो आदि ने बढ़ चढकर भाग लिया व विकसित राजस्थान 2047 के तहत कृषि क्षेत्र की प्राथमिकताओं, चुनौतियों एवं उनके समाधान हेतु विभिन्न प्रकार के सुझावों पर चर्चा भी की गई।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामराज मीना ने बताया की विकसित राजस्थान – 2047 के वर्तमान परिपेक्ष्य में कृषि के सम्बन्ध में नये नवाचार अपनाने एवं भविष्य में किए जाने वाले कार्य के सम्बन्ध में कृषकों से सुझाव लेकर कृषि आयुक्तालय भिजवाये जायेगें जिससे की विकसित राजस्थान – 2047 के सन्दर्भ में बनाये जाने वाले डॉक्यूमेंन्ट में उनका समावेश किया जा सके। कार्यशाला के दौरान कृषि एवं उद्यान विभाग द्वारा संचालित अनुदान की विभिन्न योजनाओं यथा पॉली हाउस, शेडनेट हॉउस, बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति, सामुदायिक जल स्रोत, फलदार बगीचा स्थापना, मधुमक्खी पालन, फव्वारा संयंत्र सहित विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी गयी।
इस दौरान प्रगतिशील किसानों द्वारा सरकारी अनुदान पर ग्राीन हाउस लगाने वाले एवं दुग्ध उत्पादन हेतु पशु पालन, मछली पालन, कुकट पालन करने वाले काश्तकारों की उचित ट्रेनिंग करवाने का सुझाव दिया गया। किसानों ने बताया कि ड्रिप सिंचाई योजना में उन्हें उचित लाभ नहीं मिल रहा है इस संबंध में सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि मध्यस्थों (पंजिकृत विक्रेता) की भूमिका को समाप्त कर डीबीटी के माध्यम से सीधा बैंक खातों में लाभ प्रदान किया जाए। कृषि पर्यवेक्षकों द्वारा मासिक आधार पर ग्राम स्तर पर संगोष्ठी का आयोजन कर कृषि क्षेत्र की विभिन्न विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदानकर जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने हेतु प्रेरित किया जाए।
बढ़ते तापमान से अमरूद व अन्य फलदार बगीचों को बचाने हेतु राज्य स्तर से समय-समय पर एडवाईजरी कर आमजन को अवगत कराया जाए। जिले में अमरूद प्रोसेसिंग यूनिट ईकाई की स्थापना की जाए ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सकें। जिले में गिरते भू-जल स्तर की समस्या के निराकरण हेतु वर्षा पूर्व जल संचयन के लिए सरकार द्वारा फार्म पॉण्ड, टांके, मॉडल तालाब, एनिकट जैसी जल संचयन संरचनाओं के निर्माण हेतु विशेष प्रयास किए जाए। मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशो को कृषकों द्वारा अपनाया जाकर पौषक तत्वों का सन्तुलित उपयोग करने पर जोर दिया जाए। फसल उत्पादन बढाने के लिए उच्च उत्पादन वाली किस्में, शस्य क्रियाओं को और सबल करने में पौध संरक्षण कार्याे को अधिक गुणवत्ता पूर्ण करने पर जोर दिया।
इस अवसर पर मलारना डूंगर पंचायत समिति प्रधान देवपाल मीना, जिला परिषद सदस्य प्यारेलाल मीना, अतिरिक्त निदेशक कृषि खण्ड भरतपुर देशराज सिंह, संयुक्त निदेशक उद्यान योगेश शर्मा, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ बी.एल. मीना, मण्डी सचिव प्रेमप्रकाश यादव, प्रबन्धक संचालक डेयरी राजकुमार शर्मा, उपनिदेशक उद्यान पी.एल. मीना, डी.डी.एम. नाबार्ड पुनित हरित, उपनिदेशक फुल उत्कृष्टता केन्द्र लखपत लाल मीना आदि सम्बन्धित विभागों के अधिकारी एवं किसान उपस्थित रहे।