गंगा कुंड की सुंदरता पर लगा ग्रहण, पवित्रता पर जमी काई

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तलवाड़ा| कस्बे का ऐतिहासिक प्राचीन गंगा कुंड संरक्षण के अभाव में अपनी अहम पहचान को खो रहा है। समाज सेवी चंद्रशेखर त्रिवेदी ने बताया कि क्षेत्र के धार्मिक भावनाओं से जुड़े इस गंगा कुंड की उपेक्षा के कारण गंदगी की भरमार हो गई और महामरी का केंद्र बनता जा रहा है। वर्षो पूर्व यह अपनी सुन्दरता के लिए दोनों जिलों में विशेष पहचान रखता था। इसके एक कोने में गंगा प्रवाहित होती है ऐसा लोगों का मानना है। ओर ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड के पानी से स्नान करने से चर्म रोग ठीक हुए हैं। तथा चर्म रोगों से मुक्ति पाईं है। कई वर्षो से चली आ रही परंपरा इस गंगा कुंड में कस्बे में गंगोध्यापन पर कलश यात्रा इसी जल के भरे जाने पर निकलती हैं। रक्षा बंधन, श्रावण मास आदि आयोजन में विप्रवर् इस जल से भगवान आशुतोष का जला भीषेक करते थे।इस दिन मेरा आदर सत्कार होता देखकर मेरा रोम रोम पुलकित हो उठता था। लेकिन अब मेरे दामन में गंदगी, काई, कीचड़ ने अपना साम्राज्य विकसित कर दिया है। गंगा कुंड का पानी काला ओर नीला हो चुका है। कुंड में प्लास्टिक सहित अन्य गंदगी से घिरा हुआ हुं। जिससे गंगा कुंड की सुंदरता पर ग्रहण लग रहा है। लेकिन जरा सोचिए जिसकी सुंदरता की तारीफ से अपना सीना गर्व से फूल जाता था। आज वो ही गंदगी में सिमट कर रह गया है। ये जानकारी चंद्रशेखर त्रिवेदी ने दी।


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