प्रयागराज। हर वर्ष गंगा दशहरा पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश के उपलक्ष्य में मिथुन संक्रांति भी मनाते हैं। यह शुभ अवसर आध्यात्मिक अभ्यास और प्रकृति से जुड़ने के लिए आदर्श भी है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था अपने पूर्वजों की आत्मा के उद्धार के लिए भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर कठोर तपस्या के बाद लेकर आए थे। मां सुरसरि इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थी इसलिए इस दिन को देवी गंगा की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। संगम तट से लेकर अन्य गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बन रही है। स्नान दान का क्रम भोर से ही चल रहा है। इस त्यौहार को भारत वर्ष में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है ऐसी मान्यता है कि देवी गंगा की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। मां गंगा की उपासना के लिए गंगा दशहरा का दिन सबसे फलदाई माना जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोर से ही गंगा स्नान के लिए संगम नोज पर पहुंचे हैं मां गंगा और अदृश्य सरस्वती की बहती धारा के बीच श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। बता दें कि 100 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है जिससे गंगा स्नान कर श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अर्घ देकर मां गंगा की विधि विधान से पूजा अर्चना किया।