बाबा हरीराम साहब की एकम तिथ के साथ चार दिवसीय वार्षिकोत्सव प्रारम्भ

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भीलवाड़ा|हरी शेवा उदासीन आश्रम भीलवाड़ा में आराध्य गुरुओं का चार दिवसीय वार्षिक महोत्सव सतगुरु बाबा हरीराम साहब की एकम तिथि के साथ प्रारम्भ हो गया। महोत्सव की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और हवन के साथ हुई, जिसमें श्रद्धालुओं ने गुरुओं की समाधियों पर शीश निवाया और नितनेम के पश्चात श्री रामायण का अखण्ड पाठ प्रारम्भ हुआ। निर्वाणोत्सव में देशभर से संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं का आगमन जारी है।

महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने अपने प्रवचनों में कहा कि सच्चे भाव से गुरु स्मरण करने पर सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि संतों के दर्शन मात्र से जीव का कल्याण होता है, जैसे चारों ओर बर्फ हो तो शीतलता का अनुभव होता है। जहां प्रभु का नाम स्मरण अथवा भजन होता है, वहां यमदूत भी नहीं पहुंच सकते। लेकिन वर्तमान में सत्संग और ज्ञान से अधिक आडंबर बढ़ चुके हैं।

महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन, संत मयाराम, संत राजाराम, संत गोविंदराम, बालक संत इन्द्रदेव, सिद्धार्थ, कुणाल, और मिहिर ने सतगुरु बाबा हरीराम साहब की 77वीं वर्सी के उपलक्ष्य में गुरु विशेष गुणगान करते हुए भजन ष्हे नाथ मैं आपको भूलूं नहींष् और ष्सारे जहां के मालिक तेरा ही आसराष् गाया। श्रीमहंत हनुमानराम उदासीन ने भक्ति के तीन स्वरूप – वाणी स्मरण, मन स्मरण, और चित्त स्मरण पर बल दिया और कहा कि जब हम भक्ति के तीसरे स्तर तक पहुंचते हैं, तभी शांति और आनंद का अनुभव होता है।

इस अवसर पर बाहर से पधारे हुए श्रीमहंत स्वरूपदास उदासीन अजमेर, श्रीमहंत हनुमानराम उदासीन पुष्कर, महंत श्यामदास जी किशनगढ़, स्वामी ईश्वरदास, स्वामी अर्जुनदास अजमेर, और उदासीन निर्वाण मंडल के संत महात्माओं ने संगत को दर्शन लाभ प्रदान किया।

सांयकाल में नितनेम, हनुमान चालीसा पाठ, सत्संग, और भक्त मंडलियों द्वारा भजन प्रस्तुत किए गए, जिनका श्रद्धालुओं ने लाभ प्राप्त किया। रविवार, 7 जुलाई को बीज उत्सव के द्वितीय दिन नितनेम, संत-महात्माओं के सत्संग प्रवचन के अलावा श्री श्रीचंद्र सिद्धांत सागर का अखण्ड पाठ प्रारम्भ होगा। श्री रामायण के अखण्ड पाठ का भोग पड़ेगा। सांयकाल में आश्रम प्रांगण में धर्मध्वजा (झंडा साहिब) रोहण होगा। भगवान जगन्नाथ यात्रा के आश्रम में पहुंचने पर स्वागत एवं प्रसाद वितरण होगा।

यह वार्षिकोत्सव न केवल आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने का अवसर है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी प्रदान करता है।


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