122 दिन ही चले ईंट भट्टें, चिमनी से धुआं निकला बन्द, भट्टों से श्रमिको की घर वापिसी

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आ अब लौट चले

122 दिन ही चले ईंट भट्टें, चिमनी से धुआं निकला बन्द, भट्टों से श्रमिको की घर वापिसी

भरतपुर|एनसीआर क्षेत्र में संचालित ईंट भट्टों की चिमनी से इस साल मात्र 122 दिन ही धुआं निकला बन्द हो गया और 60 प्रतिशत से अधिक ईंट भट्टों से श्रमिकों की घर को वापिसी हो गई,शेष ईंट भट्टों से भी धीरे-धीरे श्रमिकों का जाना जारी है। ये श्रमिक अपने परिवार सहित देश के कई राज्यों से दशहरा से दीपावली पर्व के आसपास आते है और गुरू पूर्णिमा से रक्षाबन्धन पर्व तक अपने घरों को लौट जाते है। जब ये गांव व घर से आते है और 7 से 8 माह के बाद लौटते है,तो सभी के चेहरे पर खुशियां नजर आती है। जिन्हे ईंट भट्टा मालिक,मुनीम व अन्य कर्मचारी श्रमिकों के द्वारा किए गए कार्य का हिसाब कर मिष्ठान व वस्त्र देकर निजी वाहनों में सवार कर रवाना करते है। अधिकांश श्रमिको के मुख से एक ही वाक्या सुनने को मिलता है कि आ अब लौट चले। ये भले ही एक फिल्म का नाम है। ईंट भट्टों से लौट रहे श्रमिकों के दृश्य पर सटीक सावित हो रहा है।

-कहां-कहां संचालित है भट्टे

भरतपुर जिले के उपखण्ड वैर,नदबई,भुसावर,नगर तथा पडौसी जिले अलवर के उपखण्ड कठूमर,लक्ष्मणगढ एवं दौसा जिले के उपखण्ड महवा,मण्डावर,करौली जिले के उपखण्ड टोडाभीम में करीब 300 से अधिक ईंट भट्टे संचालित है। भरतपुर जिले में कस्वा हलैना, नदबई,गांव बेरी,रामनगर,नसवारां,हन्तरा,सरसैना, ईरनियां,अरोदा,बुढवारी,भदीरा,नामखेडा,करीली,ऊंच,कबई,रौनिजा आदि गांवों पर 125 से अधिक ईंट भट्टे है।

– ढाई दशक में 180 भट्टे हुए बन्द

ईंट भट्टा संचालक चंचल जिन्दल व सतीश जिन्दल ने बताया कि भरतपुर जिला एनसीआर क्षेत्र में आता है। जिले के वैर,नदबई,भुसावर व नगर उपखण्ड क्षेत्र में ही ये भट्टे संचालित है। जहां ये भट्टे लगे हुए है,वहां से दिल्ली की दूरी करीब 250 किमी है और ताज जसकेकरीब 250 किमी है और ताज महल की दूरी करीब 75 किमी है। दिल्ली से दौसा,अलीगढ च मथुरा की दूरी करीब 120 किमी से 200 किमी होगी। इन जिले में एनसीआर के नियम लागू नही होते है। जहां ईंट भट्टें की चिमनी से धुआं नवम्बर व दिसम्बर से निकलाना शुरू हो जाता है। जबकि भरतपुर जिले में 1 मार्च से भट्टे की चिमनी से धुआं निलकता है और ये भट्टे चालू होते है। ऐसा होने से भरतपुर जिले को ईंट भट्टा कारोबार चैपट हो गया। एनसीआर नियम से जिले मे ंसाल 2000 से 2024 तक करीब 180 ईंट भट्टे बन्द हो गए। वर्ष 2022 में 55, वर्ष 2023 में 43 तथा वर्ष 2024 में 21 भट्टे बन्द हुए। साल 2025 में भी कई भट्टे बन्द हो सकते हे।

– एनसीआर से निकले तो सस्ती मिले ईंट

ईंट भट्टा मालिक संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष सन्तोष चौधरी व पंकज बिजवारी ने बताया कि एनसीआर क्षेत्र में भरतपुर जिले का आना और कठोर नियम के कारण जिले का उद्योग धन्घा चैपट हो गया। जिले के अनेक उद्योग बन्द हो गए। अब ईंट उद्योग धन्घा भी बन्द के कगार पर है। यदि भरतपुर जिले के उपखण्ड वैर,भुसावर,नदबई,नगर आदि एनसीआर क्षेत्र के निकले और राजस्थान प्रान्त में एक साथ ईंट भट्टों की जलाई शुरू हो,तर्भी इंट सस्ती होगी और ईंट भट्टा कारोबार प्रगति करेगा। ऐसा होने से लोगों को रोजगार भी प्राप्त होंगे।

– कहां से आते श्रमिक

ईंट भट्टा संचालक चंचल अग्रवाल हलैना वाले एवं बिजेन्द्र चौधरी हन्तरा ने बताया कि ईंट भट्टों पर कार्य करने को स्थानीय एवं राजस्थान के कई जिले सहित उत्तरप्रदेश,हरियाणा,महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,बिहार, झारखण्ड,दिल्ली,गुजराज,पंजाब आदि प्रान्तों से श्रमिक आते आते है। जो ईंट थपाई,ईंट जलाई,ईंट निकासी आदि के कार्य करते है। श्रमिकों को लाते वक्त उन्हे एडवांस में पैसा दिया जाता है और जब ये लौटते है,उस वक्त कार्य के हिसाब से पैसा की लेनदेन करते है। साथ आगामी साल को भी एडवांस पैसा दिया जाता है। जिससे ये समय पर आ जाए और कार्य शुरू कर दे।

– अब गांव की याद सताए

उत्तरप्रदेश प्रान्त के एटा जिले के गांव मदनपुरा निवासी रामपाल जाटव ने बताया कि 7-8 महिना हो गए गांव से आए,अब गांव की याद सताती है। गांव पहंुचते ही खरीफ की उगाई करेंगे और गांव के लोग व परिवार के अन्य सदस्य एवं रिस्तेदारों से मिलन होगा। हरियाणा प्रान्त के पलवल जिले के गांव दीघौठ निवासी चन्द्रकला ने बताया कि दशहरा पर्व के बाद अब गांव जा रहे है। वहां घर को सभांला जाऐगा और बच्चों की शादी करेंगे। साथ ही खेती का कार्य।


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