बजरंगबली का प्रताप चारों युगों में है- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु

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पवनपुत्र हनुमान जी की प्रतिष्ठा हुई श्री हरि कृपा आश्रम में

कामां 17 जुलाई|तीर्थराज विमल कुंड स्थित श्री हरि कृपा आश्रम में विराजित श्री रघुनाथ जी मंदिर के सामने पवनपुत्र हनुमान जी की भव्य दिव्य व विशाल स्वरूप की प्रतिष्ठा मंगलवार को पूर्ण वैदिक सनातन रीति से हुई। श्री हरि कृपा आश्रम के संस्थापक व पीठाधीश्वर विश्व विख्यात संत स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने प्रतिष्ठा के उपरांत उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि पवनपुत्र हनुमान जी का प्रताप तो चारों युगों में स्पष्ट विद्यमान है। श्री राम जी की सेवा के परम आदर्श, राम भक्ति की पराकाष्ठा ,धर्म के लिए समर्पण, अधर्म के विनाश के लिए तत्परता इत्यादिक गुण श्री हनुमान जी के चरित्र में विश्व विदित है।

उन्होंने कहा कि पवनपुत्र हनुमान जी का आदर्श व महान चरित्र जन जन के लिए अनुकरणीय व अनुसरणीय हैं। हनुमान जी की स्वामी भक्ति, प्रभु भक्ति, धर्म परायणता, नारी जाति के सम्मान के प्रति समर्पण, अधर्म के विनाश के लिए तत्परता, जितेन्द्रियता, ज्ञान की पराकाष्ठता, विचारशीलता, इत्यादि सद्गुणों के कारण ही वे जन- जन के आराध्य बने है। भगवान श्री राम के जीवन चरित्र में पवनपुत्र हनुमान जी एक प्रमुख सहायक के रूप में नज़र आते है। वानर के रूप में भी वे भारतीय अध्यात्म में महान गौरव एंव धर्म की ध्वजा के वाहक बने है। उनका नाम जहाँ इन्द्र के बज्र के द्वारा ठोड़ी के टेढ़ा होने पर रखा गया हनुमान। वही एक सार गर्भवित अर्थ उनकी निरभीमानता को व्यक्त करता है। हनुमान यानि मान का हनन करना। रूद्रावतार पवनपुत्र हनुमान जी के आदर्श व अनुकरणीय सतकर्मो को अपनाकर कोई भी अपने जीवन में कल्याण पथ पर अग्रसर हो सकता हैं। भगवान श्री राम के चरित्र की माला में हनुमान प्रमुख मनके के रूप में विराजमान हैं। सीता की खोज करना, लंका को जलाना, लक्ष्मण को जीवन प्रदान करना, अहिरावण के चुंगल से श्रीराम, लक्ष्मण को छुड़ा कर लाना, चौदह वर्ष की अवधि पूर्ण होने के कुछ क्षण पहले श्रीराम के आगमन का संदेश भरत जी को सुनाकर उनकी प्राणों की रक्षा करना हम लोगों को राम नाम का आधार देने के लिए यह सिद्ध करके दिखाना की श्री राम से श्रीराम का नाम बड़ा है इत्यादि श्रीराम के चरित्र में मनके की तरह पिरोकर रखे गए है।

इस अवसर पर श्री महाराज जी के प्रवचन के अलावा यज्ञ, हवन, हनुमान जी का पूजन, महाभिषेक सुन्दरकाण्ड पाठ, भजन, कीर्तन व भण्डारे का भी आयोजन किया गया।

पूर्ण वैदिक मंत्र उच्चारण व सनातन संस्कृति के अनुरूप व यज्ञ, हवन, पूजा, आरती के साथ प्रतिष्ठा होते ही संपूर्ण वातावरण जय जय श्री रघुनाथ हरि, बजरंगबली की जय, “श्री गुरु महाराज की जय” “कामां के कन्हैया”की जय व “लाठी वाले भैय्या” की जय जयकार से गूंज उठा।

20, 21 जुलाई को श्री हरि कृपा आश्रम में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का पावन पर्व श्रद्धापूर्वक व सादगी से मनाया जाएगा


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