भक्तामर स्तोत्र पाठ का आयोजन

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सवाई माधोपुर 19 अक्टूबर। सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से मुनि नीरज सागर व निर्मद सागर के सान्निध्य एवं समय आराधना चातुर्मास समिति के संयोजन में चमत्कारजी के विशुद्धमति सभागार में शुक्रवार शाम भक्तामर स्त्रोत पाठ हुआ।
समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि धर्मावलम्बियों ने युगल मुनियों के मंत्रोचारण के बीच 48 दीपकों से दीपार्चना कर आचार्य मानतुंग रचित भक्तामर स्त्रोत पाठ की सरिता में डुबकी लगाई।
इस मौके पर मुनि निर्मद सागर ने धर्म का मर्म समझाते हुए कि मनुष्य पर्याय धर्म करने के लिए मिली है, विषय भोगो के लिए नहीं। धर्म से ही मनुष्य श्रेष्ठ होता है। धर्महीन मनुष्य सुगंधहीन पुष्प के समान है। अपनी आत्मा का कल्याण कर मनुष्य जीवन को सार्थक करना चाहिए।
इसी प्रकार मुनि नीरज सागर ने कहा कि मनुष्य पर्याय के लिए देवगन भी तरसते हैं। इस पर्याय को व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए। इसका उपयोग विषय भोगों में करोगे तो आत्मिक गुणों को जला देगी और व्रत संयम में करोगे तो सिद्धालय में जमा देगी।
इसके उपरांत हर्ष जैन जबलपुर एंव स्थानीय समाज के गायक विनय पापड़ीवाल की मधुर स्वर लहरियों के बीच आचार्य विद्यासागर व जिनेंद्र देव की नृत्य संगीत के साथ आरती उतारी। इस अवसर पर समाज के महिला पुरुष काफी संख्या में मौजूद रहे।


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