माता-पिता की आज्ञा ही सर्वोपरि, भरत जैसा भाई कोई नहीं : आचार्या आराधना देवी


गंगापुर सिटी।पंकज शर्मा। श्री राम कथा सेवा समिति के तत्वाधान में किरण पैलेस में चल रही, राम कथा में सप्तम दिवस गुरुवार को परम पूज्य आचार्या आराधना देवी के मुखारविंद से प्रभु श्री राम सीता के कनक भवन की लीलाओं का वर्णन किया। महाराजा दशरथ को जब लगा कि उन्हें राजगद्दी छोड़कर अब राम को राजा बनाना चाहिए। बहुत दिनों बाद राज भवन में सभा बुलाई गई। गुरुवर के आदेश से मुहूर्त निकलवाकर श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी की जाने लगी। साध्वी द्वारा दासी मंथरा कैकई प्रसंग का वर्णन में कहा कि कैकई माता ने कोप भवन में दशरथ को दो वचन की याद दिलाने पर महाराज से अपने दो वचन में भरत को राज्य सिंहासन और श्री राम को तपस्वी भेष में चौदह बरस का वनवास मांगा। जिससे दशरथ को वज्रपात हुआ। श्री राम ने माता की आज्ञा मानकर स्वीकार किया। श्री राम माता सीता और लक्ष्मण वन गमन को लेकर सुमंत जी और नगर वासी उनके साथ सरयू तट पहुंचे साध्वी द्वारा मधुर वाणी भजनों के माध्यम से केवट प्रसंग का बखान किया।

केवट द्वारा श्री राम के चरण पखारने का प्रसंग का बखान किया। गंगा मैया का भजन सुनाया साध्वी द्वारा अयोध्या नगरी का प्रसंग सुनाते हुए कहा की राम के बिरहा से दशरथ का निधन हो गया। भरत आगमन की कथा सुनाई। श्री राम ने भारद्वाज आश्रम पहुंचकर विश्राम लिया। साध्वी ने द्वारा भरत चरित्र सुनते हुए कहा की भरत द्वारा बहुत विनती करने पर श्री राम ने समझाया कि माता-पिता की आज्ञा ही सर्वोपर है। तब तक आप अयोध्या की रखवाली करें, तब भरत में प्रभु राम से उनके चरण पादुकाओं को अपने सर पर रखकर उन्हीं को आधार मानकर अयोध्या लौट गए। साध्वी द्वारा चित्रकूट, जयंत प्रसंग, अत्रि अनसूया, आश्रम कथा, अगस्त ऋषि आश्रम वर्णन, पंचवटी प्रसंग का बखान किया।

पंचवटी पर रावण की बहन सूर्पनखा प्रसंग। सीता हरण में रावण और मारीच प्रसंग गिद्धराज जटायू का वर्णन करते हुए कहा कि जटायु ने प्रभु राम की गोद में प्रभु लोक को गमन किया। कथा में अर्थ धर्म काम और मोक्ष का मर्म बताया। प्रयागराज कथा में गंगा जमुना सरस्वती का वर्णन किया। कथा समापन पर प्रसादी वितरण की श्री राम कथा आयोजन सह संयोजक हनुमान लोहा वाले ने बताया कि 10 जनवरी शुक्रवार को शबरी प्रसंग, हनुमान सुग्रीव प्रसंग, वाली वध, सीता मैया खोज, भिविक्षण शरणागति की कथा होगी।