कैकेयी चाहती थी कि राम केवल अयोध्या के नहीं, विश्व के समस्त प्राणियों के हृदय सम्राट बनें – पंडित राधेश्याम शर्मा

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लालसोट 30 अप्रैल। कपिल आश्रम पर 1008 साकेत वासी संत कपिल दास महाराज की पुण्यतिथि पर आश्रम स्थित हुंगाडा बालाजी मंदिर परिसर पर चल रही संगीमय राम कथा के पाचवें दिन कथा वाचक पंडित राधेश्याम शर्मा ने कैकयी वरदान, राम वनवास एवं केवट संवाद का विस्तार पूर्वक वर्णन किया।
कथावाचक पंडित राधेश्याम शर्मा ने बताया कि राम के पिता राजा दशरथ की तीसरी पत्नी कैकेयी थी। कैकेयी ने भगवान राम को ही 14 वर्षों के वनवास पर भेजा था। वैसे तो कैकेयी भगवान राम और अपने बेटे भरत से ज्यादा प्रेम करती थी। जब कैकेयी ने भगवान राम के लिए 14 वर्षों का वनवास मांगा था तब भरत बहुत हैरान हुए थे। कैकेयी यह जानती थीं कि यदि राम अयोध्या के राजा बन गए, तो रावण का वध नहीं होगा। इसके लिए वन में तप करना जरूरी था। कैकेयी चाहती थी, कि राम केवल अयोध्या के ही सम्राट ना बने रह जाएं, वे विश्व के समस्त प्राणियों के हृदय के सम्राट बनें। इसके लिए राम को अपनी समस्त शोधित इंद्रियों और अंतः करण को तप के द्वारा सिद्ध करना होगा।
राज मिलत बन रामहि दीन्हा। कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।। यानी शनि की दशा के कारण कैकेयी की मति मारी गई और भगवान राम को शनि के समय अवधि में वन-वन भटकना पड़ा। कैकेयी ने ही भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मानकर यह समझाया कि व्यक्ति युवावस्था में अपनी 14 यानी पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्मेंद्रियां और मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार को वश में रखेगा तभी अपने अंदर के घमंड और रावण को मार पाएगा।
कथा वाचक पंडित शर्मा ने राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की मनोहारी व्याख्या की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब आप दूसरे की मर्यादा को सुरक्षित रखेंगे तभी आपकी मर्यादा सुरक्षित रह सकेगी। राम कथा में राम, लक्ष्मण,सीता की जीवंत झांकियां भी सजाई गई। राम कथा श्रवण कर श्रद्धालुओं ने धर्म लाभ लिया।
इस अवसर पर नंद कुमार पांखला, शिव शंकर जोशी, नारायण भांगला, पत्रकार मनोज जोशी, पन्नालाल सैनी, सत्यनारायण सेन, राम सिंह गुर्जर, नरसी पंडित, गोविंद चैधरी, राहुल चैधरी, सरवन महावर, अभिनव त्रिपाठी सहित कई महिला पुरुष राम भक्त मौजूद रहे।


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