प्रयागराज। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में मानदेय पर कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को बहुत ही कम मानदेय दिया जाता है। केंद्र सरकार द्वारा लगभग 1975 से चलाई जा रही इस योजना में आंगनवाड़ी वर्करों को अंशकालिक कर्मी का दर्जा दिया जाता है। यही वर्कर गर्भवती महिला से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चों के शिक्षा से स्वास्थ्य तक का जिम्मा संभालती हैं। लेकिन आज 2024 तक भी इन वर्करों की बदहाल स्थिति है जिसके लिए कोई भी सरकार गंभीर नहीं दिख रही है। शासनादेश सिर्फ कागज का टुकड़ा बनकर रह गया है। वर्ष 2018 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय में बढ़ोतरी किया गया था। इस मानदेय की बढ़ोत्तरी के साथ-साथ प्रोत्साहन राशि की योजना की भी शुरुआत की गई थी। योजना का मकसद आंगनबाड़ी के कार्यों के प्रति रुचि को बढ़ाना था जिससे आंगनवाड़ी वर्कर ज्यादा से ज्यादा कार्य करें इसके लिए प्रति आंगनबाड़ी को केंद्र सरकार की तरफ से सभी राज्यों की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने थे। मिनी आंगनवाड़ी और सहायिका को भी इस योजना से लाभान्वित किया जाना था इसके लिए अलग-अलग श्रेणी में प्रोत्साहित राशि तय की गई थी। इसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव द्वारा शासनादेश भी जारी किया गया था। जिसमें आंगनबाड़ी वर्करों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए नियम व शर्तें तय की गई थी। इस शासनादेश के अनुसार जो आंगनबाड़ी कार्यकत्री माह में कम से कम 25 दिन आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करती है साथ ही केंद्र पर सभी लाभार्थियों की सूची का सही रिकॉर्ड होगा जिस आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लाभार्थियों के आधार कार्ड की सीडिंग 95% होगी उसको प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही 0 से 3 वर्ष तक के बच्चों का पुष्टाहार वितरण के समय नियमित वजन किया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्र पर हर माह होने वाले बचपन दिवस पर बच्चों की लंबाई व ऊंचाई की माप हो इसमें कुपोषित बच्चों को सुपोषित में लाने पर भी जोर दिया गया था। उन आंगनबाड़ी वर्करों को प्रोत्साहन राशि तय की गई थी। विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र की कार्यकत्रियों ने जानकारी देते हुए बताया कि नियम व शर्तों के बावजूद भी साल भर से ज्यादा बीत जाने के बाद भी हम लोगों को अभी तक प्रोत्साहन राशि प्रदान नहीं की गई है। जब सीडीपीओ शंकरगढ़ सुरेंद्र यादव से प्रोत्साहन राशि की हम लोग बात करते हैं तो हीला हवाली कर अपना पल्लू झाड़ते नजर आते हैं। इस बाबत जानकारी लेने के लिए जब सीडीपीओ शंकरगढ़ से दूरभाष पर संपर्क साधा गया तो उनका फोन नहीं उठा। आखिर सवाल यह उठता है कि वर्षों बीत जाने के बावजूद भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रोत्साहन राशि क्यों नहीं मिल पा रही है। आखिर इनकी समस्याओं को हल करने के लिए किसकी जिम्मेदारी बनती है।