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विधान के समापन पर वीरोदय में शोभायात्रा का आयोजन

विधान के समापन पर वीरोदय में शोभायात्रा का आयोजन

विधानकर्ता परिवार का वीरोदय कमेटी ने किया सम्मान

बडोदिया| वीरोदय तीर्थ पर आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के अंतिम दिन आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री अजीत सागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया सुयश अशोक नगर के निर्देशन में पूर्णाहुति एवं रथयात्रा का आयोजन किया गया। एवीएस प्रवक्ता संकेत जैन ने बताया कि बदामीलाल वोरा परिवार द्वारा आयोजित आठ दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान की पूजन व पूर्णाहुति के साथ विश्व मंगल की कामना की गई। निकली शोभायात्रा श्रीजी को गंधकुटी में विराजमान करने के साथ ही नवीन काष्ठ रथ को लेकर भव्य शोभायात्रा निकाली गई । शोभायात्रा में रथ के सारथी बनने का सोभाग्य लक्ष्मी देवी, बदामीलाल वोरा परिवार को मिला । शोभायात्रा नद्यावर्तक स्वास्तिक,मुख्य मंदिर परिसर से होती हुई सभा स्थल तक पहुंची । शोभायात्रा में पुरूष सफेद वस्त्रों में तथा महिलाएं केसरीयां वस्त्रों में भक्ति न्रत्य करते, गरबा करते श्रीजी की आराधना की ।
विधानकर्ता परिवार का सम्मान वीरोदय तीर्थ पर श्री सिद्धचक्र विधान करने का सोभाग्य प्राप्त करने वाले लक्ष्मीदेवी, बदामीलाल वोरा परिवार का वीरोदय तीर्थ क्षेत्र कमेटी व एवीएस परिवार सदस्यों द्वारा पगडी, शाल,माला,तिलक, एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया । इस अवसर पर वीरोदय तीर्थ क्षेत्र कमेटी अध्यक्ष मोहनलाल पिण्डांरमिया उपाध्यक्ष राजेश गांधी अनिल जैन तलावाडा मोहनलाल दोसी संजय गांधी हुकमीचंद जैन के अलावा बडी संख्या में सदस्य उपस्थित थे। शोभायात्रा धर्म प्रभावना का अंग- मुनि श्री अजीत सागरजी महाराज ने कहा कि कोई धार्मिक आयोजन होता है उसके समापन पर शोभायात्रा निकालनी चाहीए । क्युकि शोभायात्रा धर्म प्रभावना का एक अंग होता है । यह विचार उन्होंने वीरोदय तीर्थ पर आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि धर्म प्रभावना का मतलब यह है कि जब भी भगवान का समवशरण जहां जहां जाता है उस क्षेत्र का अभव्य जीव भी भव्य‍ हो जाता है इतनी शक्ति होती है जिनेन्द्र देव के समवशरण की । तो हर कोई यही चाहेगा कि भगवान का समवशरण उनके क्षेत्र में भ्रमण करे जिससे उस क्षेत्र का वातावरण आल्हादित हो जाए । मुनि श्री ने कहा कि इन आठ दिनो में तीर्थ पर भक्तो ने बहुत ही अच्छी भक्ति की है और यही भक्ति हमेशा बनी रहे ऐसी भावना सबको करनी चाहीए ।


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