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पुण्य क्षीण होने पर जवानी आदि तथा इंद्रिय भोग आदि नष्ट सब हो जाते

पुण्य क्षीण होने पर जवानी आदि तथा इंद्रिय भोग आदि नष्ट सब हो जाते

भगवान चंद्रप्रभ एवं तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ स्वामी का जन्म‍ एवं तप कल्याणक मनाया

बडोदिया | आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री अजीत सागरजी महाराज ने कहा कि वीरोदय के मुल नायक भगवान श्री आदिनाथ की प्रतिमा बहुत ही अतिशयकारी है सच्चे मन से जो भी यहां भक्ति करता है वह सफलता को प्राप्त करेंगा । उन्होंने यह विचार वीरोदय तीर्थ पर आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि जवानी, घर, स्त्री, घोड़ा,हाथी,कुटुम्बी, नौकर-चाकर और इंद्रिय भोग आदि सब क्षणभंगुर विनाशीक है। ऐसा बार-बार चिंतवन करना अनित्य अनुप्रेक्षा कहलाती है। जैसे इंद्रधनुष देखते-देखते नष्ट हो जाता है और बिजली चमक कर शीघ्र ही नष्ट हो जाती है, वैसे ही पुण्य क्षीण होने पर जवानी आदि तथा इंद्रिय भोग आदि नष्ट हो जाते है । एकमात्र जन्म-मरण से रहित अपनी आत्मा नित्य है और शरीर आदि पदार्थ अनित्य है। शीतकालीन वाचना के लिए श्रीफल भेंट — आज गुरूवार को वीरोदय तीर्थ पर कलिंजरा श्री समाज के द्वारा मुनिश्री 108 अजितसागर जी महाराज ससंघ को शीतकालीन वाचना हेतु श्रीफल भेंट किया गया । समाज अध्यक्ष रतनपाल दोसी के साथ ही समस्त कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे । यह जानकारी युवा अध्यक्ष सुनील शाह ने दी। जन्म व तप कल्याणक मनाया—मुनि श्री अजीत सागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में प्रात: श्रीजी का जलाभिषेक प्रथम कलश ब्र. विदुषी दीदी, दोसी विजेंद्र जैन समस्त परिवार बागीदौरा, दुसरा कलश पंचोरी संजय जैन, सुषमा समस्त परिवार नौगामा, तीसरा कलश कोठारी नरेश जैन पुत्र मणिलाल जैन समस्त परिवार बाहुबलीकॉलोनी,चौथा कलश कोठारी विदेह ,हर्ष , प्रियंका समस्त परिवार परतापुर,दोसी भरत कुमार जैन पुत्र मीठालाल जी समस्त परिवार बड़ोदिया, पांचवा कलश देवडिया शुभम जैन, सुरेंद्र जैन समस्त परिवार परतापुर व शाह हार्दिक जैन, प्रकाश जैन समस्त परिवार ठिकरिया इन सभी ने शांतिधारा का धर्म लाभ लिया । एवीएस प्रवक्‍ता संकेत जैन व अध्‍यक्ष राजेश गांधी ने बताया कि पौष क्रष्ण एकादशी पर अष्टम तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभ एवं 23 तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ स्वामी का जन्म एवं तप कल्याणक मनाया गया ।


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