एक कलमकार का शिक्षा के क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों से सुलगता सवाल-आर डी दुबे आजाद


प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर बारा विधानसभा क्षेत्र के किसी भी एक गांव का कोई एक प्राथमिक विद्यालय,उच्च माध्यमिक विद्यालय ऐसा है? जहां पर सरकारी कर्मचारी खद्दरधारी अपने परिवार के बच्चों का नामांकन गर्व से ले जाकर करा सकें ? क्या यमुनापार के विधानसभा का ऐसा कोई परिवार है गरीब से गरीब भी, जो सरकारी विद्यालय में अपने बच्चों को एडमिशन दिलाने के बाद गर्व से कहे कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मेरा बच्चा ऐसे विद्यालय में पढ़ रहा है? फिर कैसा विकास शिक्षा के क्षेत्र में? कुछ लोग कहते हैं कि पानी खेत की सिंचाई करता है, तो शिक्षा या ज्ञान दिमाग की सिंचाई करता है। अगर कुछ पल के लिए मान लिया जाए कि बारा विधानसभा में सिंचाई के संसाधन हो गए हैं? लेकिन शिक्षा व्यवस्था की क्या हालत है? नेताओं के बच्चे और सरकारी कर्मचारी, पदाधिकारी, यहां तक की सरकारी विद्यालय के शिक्षक लोगों के बच्चे देश विदेश तक जाकर पढ़ रहे हैं ? लेकिन जिस जनता के वोट से आप विधानसभा जाते हैं ? उस गरीब, मजदूर, दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक का बच्चा कहां पढ़ेगा ?उसके पास क्या विकल्प है ? सरकारी विद्यालयों की शिक्षा जैसी 2005 में थी वैसी 2025 में है। मैं बात शिक्षा की गुणवत्ता की कर रहा हूँ। क्वालिटी एजुकेशन की बात कर रहा हूँ। आप लोगों की सरकारों ने विद्यालय में शिक्षकों की संख्या बढ़ा दी? लेकिन क्या शिक्षा का स्तर ऊपर उठ पाया ?अगर आपको मेरी बात गलत लगती हो, तो अपने नजदीकी किसी भी प्राथमिक विद्यालय में चले जाएइगा और बच्चों से कुछ साधारण से सवाल करके पूछ लीजिएगा, आपको शिक्षा की गुणवत्ता का पता चल जाएगा।
फिर इसके लिए आजादी से अब तक के जितने भी जनप्रतिनिधि हुए हैं। उन्होंने क्या किया या जो भविष्य में बनना चाहते हैं, उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए क्या प्रयास किया? क्यों नहीं आप लोग गाड़ियों का काफिला लेकर डीएम कार्यालय पहुंच कर फरियाद करते हैं? जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय का घेराव करते हैं और उच्च अधिकारियों को विद्यालयों में घूमने पर मजबूर क्यों नहीं करते हैं ?
वह उच्च अधिकारी बच्चों से बात करके देखें कि बच्चों को क्या पढ़ाया जा रहा है ? लेकिन इस पर हमारे क्षेत्र के नेता एक शब्द भी नहीं बोलते हैं और न ही जनता उनसे इस विषय पर सवाल करती है ?मुझे राजनीति में पद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं सदस्य का भी चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हूँ। हां, लेकिन इस मूड में जरूर हूँ कि जो भी सदस्य से लेकर सांसद बने, उसे हमारे मुद्दों पर बात करनी पड़ेगी। इसलिए मैं लिखता हूँ और अगर आप लोगों में थोड़ी भी नैतिकता जिंदा हो, तो आप जिस भी पार्टी/नेता का झंडा,पोस्टर,बैनर लेकर घूम रहे हैं। उस नेता को कहिए कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, रोजगार पर क्या स्टैंड रखता है ? और अब तक उसने क्या किया ?
जरूरी नहीं कि जनप्रतिनिधि बनने के बाद ही आप कुछ कीजिएगा, इसके पहले भी जो जनप्रतिनिधि थे, उनको अपने मुद्दे पर काम करने के लिए आपने क्यों नहीं मजबूर किया ?
प्रश्न यहाँ पर जिन तस्वीरों को हमने शेयर किया है, वह भी इसी देश के सरकारी विद्यालयों की हैं। क्या ऐसे विद्यालय बारा में नहीं होने चाहिए?


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