आइफ़्लू बीमारी का प्रकोप – बयाना में रोज बढ़ रहे आई फ्लू के मरीज, बच्चों में ज्यादा फैल रहा है रोग

Support us By Sharing

आइफ़्लू बीमारी का प्रकोप – बयाना में रोज बढ़ रहे आई फ्लू के मरीज, बच्चों में ज्यादा फैल रहा है रोग

आई फ्लू के रोज 130 से 150 मरीज आ रहे, इनमें 60% 15 साल तक के बच्चे, बयाना में नेत्र चिकित्सक तक नहीं

बयाना 26 जुलाई। लगातार बारिश और मौसम बदलने के साथ ही बुखार के बाद आई फ्लू ने भी गांवों में पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। पिछले एक पखवाड़े से मौसम में उतार चढ़ाव आ रहा है। सुबह और शाम के समय ठंड हो जाती है, तो दोपहर में गर्मी के कारण लोग परेशान रहते हैं। ऐसे में आई फ्लू तेजी से फैल रहा है बयाना अस्पताल में प्रतिदिन 1500 मरीज की ओपीडी है जिनमें से 130 से 150 मरीज आई फ्लू बीमारी के इलाज के लिए आ रहे हैं। बयाना में पिछले 10 दिनों में लगभग एक हजार मरीज आई फ्लू से पीड़ित सामने आए हैं। जिनमें 60 फीसदी 15 साल तक के बच्चों में आई फ्लू फैल रहा है। लेकिन बयाना अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ का पद रिक्त होने के चलते मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में अस्पताल में तैनात नेत्र सहायक डॉ जितेंद्र जैन रोगियों को आवश्यक परामर्श दे रहे हैं । जिनसे मरीजों को काफी राहत भी मिल रही है। पूर्व में यहां नेत्र चिकित्सक के पद पर बयाना निवासी डॉक्टर दीपक सिंघल नियुक्त थे जिनका बयाना में निजी आवास भी है ।किंतु अपने निजी लाभों के चलते वह बयाना से अपना ट्रांसफर करवा कर जिला मुख्यालय भरतपुर चले गए तभी से यह पद रिक्त चल रहा है। हालांकि वह यहां सप्ताह में एक दिन अपनी निजी क्लीनिक पर आकर मरीजों को देखते हैं।
बयाना अस्पताल में नेत्र सहायक जितेंद्र जैन ने आई फ्लू के लक्षण के बारे में बताया कि व्यक्ति की आंखों में लालपन आना लगातार खुजली चलना धुंधली दृष्टि होना और आंखों के पलकों में सूजन तथा नम होना आई फ्लू के लक्षण में माना जाता है।
नेत्र चिकित्सक व कैंप लगाने की मांग-
आई फ्लू के बढ़ते संक्रमण से मरीज असमंजस की स्थिति में है। पूर्ण चिकित्सा उपचार नही मिल पाने से परेशान मरीजों ने बयाना में रिक्त पद पर नेत्र चिकित्सक की नियुक्ति व बयाना में नेत्र जांच शिविर लगाने की मांग की है। किसान यूनियन नेता सुरेंद्र सिंह कंसाना ने बताया कि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा । जागरूकता के अभाव के चलते लोग अब झोलाछाप डॉक्टरों से उपचार ले रहे हैं। जिससे आंखों की रोशनी जाने का खतरा बना रहता है। वही चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की ओर से ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करने से उनके हौसले बुलंद हैं और वह मरीजों के जीवन से भी खिलवाड़ कर रहे हैं वही उनका धंधा भी चल निकला है।

किस तरह का होता है आईफ्लू और क्या है उसके लक्षण-
नॉर्मल आई फ्लूः इसमें आंखों के अंदर सफेद हिस्से पर छोटे-छोटे खून के धब्बे दिखाई देते हैं। आंखों में हमेशा पानी रहता है।
बैक्टीरियल कंजक्टिविटी इसे आंख आना भी कहते हैं। इसमें आंखों से पीले और हरे रंग का चिपचिपा पानी निकलता है। सुबह उठने पर पलकें आपस में चिपक जाती है। ये बच्चों में ज्यादा तेजी से फैलता है।
वायरल कंजक्टिविटी: इसकी शुरुआत हवा में फैले वायरस की वजह से होता है। इसमें खांसी जुकाम, दोनों आंखों में लाली औरसूजन की शिकायत होती है। इस इन्फेक्शन का असर बड़े लोगों पर ज्यादा होता है। 65 से 90 फीसदी आई फ्लू इन्फेक्शन की वजह एडिनोवायरस ही होता है।
एलर्जिक कंजक्टिविटी: इस स्थिति में आंखों का रंग गुलाबी, खुजली होना और आंख से पानी गिरने की परेशानी होती है।
गोनोकोकल कंजक्टिविटी – इसे नीसेरिया गोनोरिया कहते हैं। यह इन्फेक्शन नवजात शिशुओं और सेक्शुअल रिलेशनशिप के दौरान हो सकता है।
सूती व साफ कपड़े का इस्तेमाल करें- आंखों को गुनगुने पानी से धोएं, आंखों और चेहरा साफ कपड़े से पोंछें, सूती व साफ कपड़े का इस्तेमाल करें, मोबाइल व टीवी का इस्तेमाल कम करें और हाथ अगर आंखों पर चला जाए तो साबुन से धोएं और रंगीन चश्मे का उपयोग करें।


Support us By Sharing

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *