महिला कृषक श्रमिकों को सिखाया जीवामृत बनाने का तरीका
सवाई माधोपुर 3 अगस्त। कृषि विभाग की ओर से राजस्थान कृषि श्रमिक संबल मिशन के अंतर्गत सूरवाल कस्बे में स्थित राजीव गांधी सेवा केंद्र पर उप सरपंच जगदीशी देवी मीना की अध्यक्षता में जैविक खेती विषय को लेकर महिला कृषि श्रमिकों का कौशल विकास एवं क्षमता निर्माण प्रशिक्षण शुरू हुआ।
सूरवाल के कृषि पर्यवेक्षक विजय जैन ने बताया कि इस मौके पर आत्मा परियोजना के निदेशक अमर सिंह ने रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों से दूर रहकर पारंपरिक तरीके से जैविक खेती को अपनाकर मानव, मृदा व जल के स्वास्थ्य बचाने के लिए प्रेरित किया। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. बी एल मीणा ने जैविक खेती के तरीके व समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकी बताई। उद्यान विभाग के उप निदेशक चन्द्र प्रकाश बड़ाया ने कहा कि मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार के साथ उपज में इजाफा उत्पादन भी गुणवत्तायुक्त होता है। बैंक ऑफ बड़ौदा प्रतिनिधि अन्तिमा चैहान ने सामाजिक सरोकार योजनाओं से रूबरू कराया। विशेषज्ञ किसान जानकीलाल मीणा ने जैविक खाद बनाने के तरीके बताये।
प्रशिक्षण के दौरान सहायक कृषि अधिकारी हरिकेश मीना, मियाराम मीणा, ग्राम विकास अधिकारी विक्रम सैनी, कृषि पर्यवेक्षक सुनील वर्मा आदि मौजूद रहे।
प्रशिक्षण में ग्राम पंचायत सूरवाल, सुनारी व सिनोली की 30 महिला श्रमिक किसान भाग लिया, जिन्हें प्रशिक्षण के दूसरे दिवस में सरपंच शबनम बानो के सानिध्य में जैविक खेती का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामराज मीणा ने कृषि योजना से कृषि योजनाओं से लाभ उठाने के लिए आह्वान किया। उन्होंने उपस्थित महिला प्रशिक्षु कृषकों को मतदाता जागरूकता का भी संदेश दिया। आत्मा निदेशक अमर सिंह ने उत्पादकता वृद्धि के मूल मंत्र बताएं। सहायक निदेशक डॉ हेमराज मीणा ने वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट एवं नाडेप कंपोस्ट बनाने का तरीका बताया। कृषि पर्यवेक्षक सुनील शर्मा ने फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी। नवाचारी किसान जानकीलाल मीणा द्वारा उनके खेत पर जीवामृत, वेस्ट डी कंपोजर एवं बायोपेस्टिसाइड आदि बनाने के प्रायोगिक तरीके बताये।