सन्त और ग्रन्थ किसी एक जाति वर्ण के नही- हंसराम महाराज

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सनातन धर्म सभा मे गरजे महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम

भीलवाड़ा, 06 अगस्त|सन्त और ग्रन्थ किसी एक जाति वर्ण के नही, वरन सम्पूर्ण मानव मात्र के लिए अखिल भारतीय सिंन्धु सन्त समाज ट्रस्ट के पूज्य महापुरुषों की सनातन धर्म प्रचार यात्राओं का मुख्य उद्देश्य समाज मे फैले भटकाव को दूर कर अपनी पुरातन सिंन्धु सनातन संस्कृति से जोड़ना है, क्योकि सिंन्धु समाज का मूल सनातन ही है। उक्त उद्गार श्री पुरूषोत्तम मास के 30 दिवसीय दिव्य अनुष्ठान के अंर्तगत श्री सदगुरू देव स्वामी सन्तदास साहिब जी की दिव्य चेतना के पावन सान्निध्य में आयोजित विराट सनातन धर्म सभा में महामंडलेश्वर श्री स्वामी हंसराम जी ने व्यक्त किये।

धर्म मंच से सिंह गर्जना करते हुए स्वामी जी ने कहा-सन्त और ग्रन्थ को अगर किसी जाति वर्ण ने अपनी बपौती समझने की भूल की तो उस जाति-वर्ण का विनाश निश्चित है। सन्त और ग्रन्थ का संदेश सम्पूर्ण मानव जाति के लिए होता है। विभाजन की विभीषिका में सिंधी समाज ने अपनी संस्कृति, अपनी भूमि, अपना सर्वस्व खोया है। 75 वर्षो अंतराल में दो-तीन पीढ़ियों के लंबे संघर्ष के बाद अब समाज धीरे-धीरे अपने आप को स्थापित कर रहा है। ऐसे में समाज को अपनी मूल सिंन्धु सनातन सस्कृति के प्रति जागरूक और प्रतिष्ठित करने की अत्यंत आवश्यकता है। और उसी सनातन धर्म की मशाल को लेकर सिंन्धु सन्त समाज नगर-नगर और गांव- गांव अलख जगा रहा है।
अनेक पन्थो, मजहबों और मत-मतान्तरों के बहकावे और प्रलोभनों में पड़कर समाज पूरी तरह बिखर गया है। सामाजिक एकता की कमी होने के कारण सिंधी समाज की कही भी कोई सुनवाई नही हो रही है। समाज को सनातन धर्म और सिंन्धु संस्कृति की माला में पिरोकर एकजुट करने का प्रयास सन्त समाज निरन्तर प्रयासरत है। स्वामी जी ने अनेक सामाजिक कुरीतियों जैसे- प्री-वेडिंग शूटिंग, तीसरे दिन मृत्यु भोज, विवाह में अनावश्यक विलंब और बहुत बड़े स्तर पर हो रहे धर्मांतरण पर भी चिंता जाहिर की।
हरियाणा में पिछले दिनों शिवभक्तों की कावड़ यात्रा पर विधर्मियो के द्वारा किये गए आक्रमण की चर्चा करते हुए स्वामी जी ने सर्व सनातन समाज को जाति पंथ के मतभेदों को छोड़कर एकजुट होने का आव्हान किया। अखिल भारतीय सिंन्धु सन्त समाज ट्रस्ट के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हंसदास जी (रीवा) ने बताया कि इस सनातन धर्म सभा को राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत स्वामी खिमयादास जी (सतना) श्री महंत स्वरूपदास जी (अजमेर), श्री महंत स्वामी हनुमानराम जी ने भी सम्बोधित किया।
प्रदेश सलाहकार स्वामी सरूपदास जी (रीवा) ने धर्म मंच पर उपस्थित सभी महापुरुषों का पुष्पहार, शाल और श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया। पूज्य सेंट्रल पंचायत (रीवा), पूज्य सिंधी पंचायत (सीधी) भारतीय सिंन्धु सभा, रीवा व्यापारी महासंघ, पूज्य माता सरूप मन्दिर, पूज्य रियासती पंचायत, बाबा आसुदाराम सेवा समिति, सन्त कंवरराम धर्मशाला समिति सहित अनेक सामाजिक और धार्मिक संगठनों द्वारा पूज्य सन्तो का स्वागत सत्कार किया गया। श्रोताओं में विशेषकर युवावर्ग में धर्म सभा के प्रति जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया। जगह-जगह आतिशबाजी और पुष्पवर्षा के साथ श्रद्धेय सन्तो का अभिनंदन किया गया। विशाल भण्डारे के साथ कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ। इस विराट सनातन धर्म सभा मे रीवा नगर सहित अन्य नगरों के पुरुषो, महिलाओ और युवा साथियों सहित अनेक गणमान्य नागरिक सम्मिलति हुए। धर्म सभा के पूर्व सन्त समाज ने लक्ष्मण बाग संस्थान और गौशाला जाकर दर्शन किये। और महामृत्युंजय भगवान का अभिषेक एवम पूजन भी किया।


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