डग्गेमार बसों-जीपों की छतों और लटककर यात्रा कर रहे श्रद्धालु, जिम्मेदार बने बेखबर
बयाना, 3 सितंबर। बयाना व वैर उपखंड के मध्य अरावली पर्वतमाला के घने जंगलों के बीच गांव जहाज में प्रसिद्ध लोक देवता कारिस देव का वार्षिक मेला शुरू हो गया है। मेले में दर्शनों के लिए उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु विभिन्न रेलगाड़ियों से बयाना पहुंच रहे हैं। जिन्हें बयाना पहुंचने के बाद गांव जहाज स्थित मेला स्थल के लिए सड़क मार्ग से होते हुए मोटर वाहनों में सवार होकर जाना पड़ता है। किंतु रोडवेज निगम की उदासीनता और रोडवेज बसों के अभाव में इन श्रद्धालुओं को डग्गेमार वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है। रोडवेज बसों की कमी के चलते अब धागे मार वाहन संचालक इन थके हारे यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाने लगे हैं। जो इन श्रद्धालु यात्रियों को बयाना से देव बाबा के मेले तक लाने ले जाने का काम करते हैं। देखने की बात तो यह है कि यह डब्बे मार वाहन चालक जहां इन मजबूर यात्रियों से दोगुना तक या फिर मनमाना कराया वसूल कर रहे हैं वही इन डग्गेमार वाहनों में उनकी क्षमता से दोगुना से तीन गुना तक यात्रियों को भीड़ बकरियों की तरह भरकर इधर से उधर लाने ले जाने और अपनी जेबें भरने के काम में लगे हैं । इन डग्गेवार वाहन संचालकों को ना तो सड़क सुरक्षा नियमों की परवाह है ना ही पुलिस और कानून की कोई चिंता है और ना ही इन मजबूर यात्रियों के जीवन की सुरक्षा की कोई दरकार है। दूर दराज के प्रदेशों व गांवों से आने वाले यह थके हारे मजबूर यात्री भी अपनी जान जोखिम में डालकर इन डगगेमार वाहनों में यात्रा करने व अपनी जेब कटवाने को मजबूर हैं। सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि खुले आम दिन रात बयाना व वैर और बयाना तालचिडि स्टेट हाईवे पर दिनरात सरपट दौड़ने वाले यह डग्गेमार वाहन ना तो पुलिस को नजर आते हैं ना ही परिवहन विभाग व अन्य अधिकारियों को नजर आते हैं। या फिर उनकी कार्यशैली को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह डग्गेमार वाहन हजारों लोगों की जान जोखिम में डालकर उन्हीं की मिली भगत से सड़कों पर सरपट दौड़ने और चांदी कूटने में लगे हैं। फिर भी जिम्मेदार पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग के अधिकारी इस सबसे बेखबर बने हुए हैं। उधर, वाहनों और श्रद्धालुओं की भीड़ से कस्बे के रेलवे स्टेशन से बजरिया, बस स्टैंड होते हुए पंचायत समिति तक के रोड पर वाहनों की रेलमपेल मची रहने से हरदम दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। उधर, यात्रियों की भीड़ को देखते हुए बयाना में सामाजिक संगठनों की ओर से इन यात्रियों को अल्पाहार व भोजन की व्यवस्था की जा रही है। सुबह और शाम के समय रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के भीड़ से मेले का सा माहौल बन जाता है।