बच्चों के सुख समृद्धि हेतु विधि-विधान से महिलाओं ने किया पूजन अर्चन
प्रयागराज। सनातन काल से हरछठ पर्व पर चली आ रही धर्म संस्कृति और आस्था के परम्परा को झंझरा चौबे नारीबारी की महिलाएं संतानों के लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखकर हरछठ माता का पूजन-अर्चन करती हैं। यह व्रत पुत्रों के दीर्घायू और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इस व्रत में महिलाएं काँस-कुशा,झरवेरी आदि से बनी हरछट माता की पूजा करने के साथ पड़वा वाली भैंस के दूध से बने दही और महुवा (सूखे फूल) को पलाश के पत्ते पर रख कर व्रत का समापन करतीं हैं।
दिलीप कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि प्रयागराज के झंझरा चौबे मे आयोजित हरछठ पूजा प्रदेश में महिलाओं के आस्था का सबसे बडा़ केन्द्र बनता चला आ रहा है। सरोबर के किनारे पूर्व मे सती हुई माता के चौरा पर यह पूजनोत्सव भादों के षष्ठी मंगलवार को सुबह 10 बजे से देर शाम तक चला जहां हजारो महिलाओं ने ललही माता का पूजन विधि-विधान से कच्चे,पके महुआ,दही,नारियल नए वस्त्र के साथ सोने चाँदी के आभूषण सिंगार का सामान के साथ नगदी भेंट कर गाजे-बाजे डीजें के साथ पूजनोत्सव मनाया। सती चौरा पर सैकडो़ महिलाऐ नृत्य करती हुई खुशी का इजहार कर माँ के आशीर्वाद पर वधावन व आभार जतातीं हुई सभी महिलाऐं छोटे बड़े के हिसाब से एक दूसरे का पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। माता सती के पूजन स्थल पर कई जिलो से महिलाऐं आती है और मनवांछित फल प्राप्त करने के साथ बच्चों के दीर्घायु होने की कामना करती है। पूर्व मे मानी हुई मनौती पूर्ण होने पर भी आभार जताने के लिए लोग रामायण, कीर्तन,कथा कराते हैं। झँझरा चौबे सती चौरा पर वर्षों पुरानी ऐतिहासिक परंपरा आज भी ग्रामीण मिल जुलकर एक ही जगह पर निभाते और पालन करते चले आ रहे हैं। ऐसा ना करने पर माता सती के कोप को झेलना पड़ता है। झंझरा चौबे की शुशीला देवी, रामेश्वरी देवी,किरन देवीं, सोनारूपा,शशिकला, सावित्री,पुष्पा,सविता, सुषमा आदि ने मंगल गीत गाते पूजन अर्चन किया। दिलीप कुमार चतुर्वेदी,दिव्याँश,दीक्षा,शाक्षी आदि के साथ सैकडो़ लोगों ने मत्था टेक चौरा के पवित्र जल पान किया। प्रमोद समदरिया आदि के परिजन द्धारा विधिविधान से पूजन कराया जाता है।