सूरजकुंड के अस्तित्व पर संकट कचरे प्लास्टिक में हुआ तब्दील सफाई और मरम्मत का काम बंद पड़ा है
कामां कामवन की ऐतिहासिक धरोहर सूरजकुंड सफाई और मरम्मत न होने से प्लास्टिक पौलोथिन खराब कपड़े लत्ते से अटा हुआ है प्रशासन की अनदेखी के कारण सूरजकुंड की दुर्दशा हो रही है और कुंड का अस्तित्व धीरे धीरे खत्म हो रहा है कुंड के आसपास रहने वाले लोगों में जागरूकता की कमी से वह कुड़ा करकट व पशुओं का गोबर उसमें डाल रहे हैं इससे कुंड की गहराई बहुत कम रह गई है प्रशासन को इस समस्या के निदान के लिए सबसे पहले कुंड में करकट वह गंदगी न फेंकने के लिए लोगो को जागरूक करना होगा कुछ वर्षों पहले मान मन्दिर बरसाना रमेश बाबा व आमजन के सहयोग से इस धरोहर को बचाने के लिए मरम्मत व साफ सफाई करवाई गयी थी उसके बाद ना ही आला अधिकारियों ने और ना ही किसी नेता ने इस सुरजकुन्ड की तरफ रूख किया कुंड पर फैली गंन्दगी और बदबू के कारण लोग अब नहीं जा रहे हैं कुंड में कुड़ा कचरा होने से आसपास बड़े बड़े मच्छरों की फैक्ट्री बनी हुई है आसपास की आबादी अक्सर बीमारियों की चपेट में ही रहती है इसलिए आज सूरजकुंड अपनी मूल पहचान खोता जा रहा है वही सूरजकुंड के पास रहने वाले जितेश यादव ने बताया कि यह कुंड काम्यवन पंचकोसी परिक्रमा में आने वाला सुरजकुंड है और इसका धार्मिक महत्व बहुत है और बाकी और कुंड है कामां में इस सुरज कुण्ड का पहले भी मान मन्दिर बरसाना रमेश बाबा व आमजन के सहयोग से जीर्णोद्धार हो चुका है उसके बाद भी प्रशासन की अनदेखी के कारण इसकी दुर्दशा हूई पड़ी है जिसमें पन्नी पौलोथीन व कुड़ा करकट से गंदगी फैली हुई है कई बार नगरपालिका प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं कि कुन्ड की अनदेखी ना की जाए इसलिए यहां मच्छरों की वजह से मौसमी बिमारी जैसे डेंगू मलेरिया पनप रही है जिससे कालोनी वाले त्रस्त है कई बार प्रशासन को अवगत कराया जा चुका लेकिन कोई भी सुनवाई यहां नहीं हो पा रही है