अखंड सौभाग्य हेतु सुहागिनों ने रखा हरितालिका तीज का निर्जला व्रत संगम में लगाई आस्था की डुबकी
प्रयागराज। हरितालिका तीज के एक दिन पूर्व ही बाजारों की रौनक और चारों तरफ महिलाओं द्वारा खरीदारी व हाथ में मेहंदी लगवाने की धूम रही। पौराणिक मान्यता के के अनुसार हरतालिका तीज के दिन भगवान भोलेनाथ को प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने निर्जला व्रत रख कठोर तपस्या की थी और हरितालिका तीज की निर्जला व्रत के बाद भगवान भोलेनाथ माता पार्वती को पति के रूप में मिले। माता पार्वती को तीज माता भी कहते हैं तब से लेकर के आज तक पूरे भारतवर्ष में हिंदुओं का यह त्यौहार हरितालिका तीज के नाम से मनाया जाता है। पति की लंबी उम्र की कामना से महिलाएं नदी सरोवर में आस्था की डुबकी लगा भगवान भोलेनाथ का निर्जला व्रत रखती है और शाम को भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा करती हैं तथा श्रृंगार से माता पार्वती को सजाती है। मान्यता है कि नियम पूर्वक निर्जला व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विभिन्न शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के दरबार में माता बहनों ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर पति कि लंबी उम्र कि कामना की। कुछ हरितालिका तीज का व्रत रखी महिलाओं ने घर पर ही चौकी पर केले का पत्ता बिछाकर उसे पर रेत या मिट्टी से भगवान शंकर, माता पार्वती व श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया। मां पार्वती को सुहाग से संबंधित सामग्रियों को चढ़ाकर पति के स्वास्थ्य समृद्धि की कामना की। वही कुमारी कन्याओं ने भी हरतालिका तीज का व्रत रख सुंदर वर पाने की कामना की।