अन्नत चतुर्दशी पर कलशाभिषेक के साथ दशलक्षण महापर्व का समापन
बामनवास l अनंत चतुर्दशी का महत्व जितना हिन्दू धर्म में है उतना ही अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय में भी है। जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी के दिन निर्जल उपवास रखा जाता है।अनंत चतुर्दशी के दिन जैन धर्म के अनुयायी सफेद लाडू यानी कि सफेद लड्डू बनाते हैं और उन्हीं का भोग तीर्थंकरों को चढ़ाया जाता है। यूं तो जैन धर्म में सभी तीर्थंकरों की पूजा की जाती है लेकिन विशेष रूप से भगवान अनंतनाथ की पूजा करना शुभ और फलदायी होता है।इसके अलावा जैन समाज के दशलक्षण पर्व का भी समापन हो रहा है। इस दिन को जैन धर्म के दिगम्बर अनुयायियों के आदर्श अवस्था में अपनाए जाने वाले गुणों को दशलक्षण धर्म कहा जाता है l
भाद्रपद माह में दशलक्षण पर्व के तहत गुरुवार को अनंत चतुर्दशी पर बामनवास ब्लॉक के सभी जैन मंदिरों में कलशाभिषेक किए गए। इस दौरान जयकारों से जिनालय गूंज उठे। जैन समाज की ओर से अनंत चतुर्दशी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। सभी मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। विधान मंडल रखे गए। पुरुषों ने सफेद एवं महिलाओं ने पीले वस्त्र पहने। इस अवसर अनंत चतुर्दशी पर तीर्थंकर वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव भी मनाया गया है।
इस अवसर पर दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में अनन्त चतुर्दशी पर सुबह से ही सभी जैनालयों में पूजा अर्चना का दौर जारी रहा। चौबीस भगवान का मण्डल माण्डकर विशेष पूजा अर्चना करते हुए और विभिन्न अर्घ चढ़ाए गए शाम को बमनवास तहसील में स्थित सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में श्रीजी के कलशाभिषेक का कार्यक्रम हुआ। भगवान जिनेन्द्र की माला की खुली बोली लगाई गई। समाज के कई लोगों ने व्रत एवं उपवास भी रखा।
इस अवसर पर रमेश चन्द जैन,विनोद जैन,सुनील जैन,मुकेश जैन, जिनेन्द्र जैन आशु जैन,सुमनलता जैन,राजुल जैन,रजनी जैन, आशा जैन एकता जैन, सपना जैन,अभिनन्दन जैन आदि कई श्रावक -श्राविकाएं उपस्थित थे l