पत्रकारिता में साख पर संकट तो है – उपेंद्र सिंह राठौड़

Support us By Sharing

पत्रकारिता में साख पर संकट तो है – उपेंद्र सिंह राठौड़

जयपुर 28 सितम्बर। इण्डियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ की सक्रियता का परिणाम हैै कि आज पत्रकारों का देश का सबसे बड़ा संगठन आईएफडब्ल्यू जे राजस्थान के विभिन्न जिलों व उपखंड स्तर पर इकाइयों के माध्यम से सक्रिय है। इस वक्त 3150 से अधिक पत्रकार आई.एफ.डब्ल्यू.जे. संस्था के सदस्य हैं। राठौड़ अरसे से पत्रकार सुरक्षा कानून सहित अन्य मसलों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
एक वार्ता के दौरान प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि मौजूदा दौर पत्रकारिता के लिए सर्वाधिक कठिन है लेकिन इन चुनौतियों का सामना संगठित होकर ही किया जा सकता है। उन्होने कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता का हास हो रहा है। यह समय बहुत कठिन है। किसी के बारे में किसी भी तरह की खबर छपती है तो पत्रकारों पर झूठे आरोप लगाने से पीछे नहीं हटते। पहले जो पत्रकारों को सम्मान दिया जाता था, उसमे अब काफी कमी आई है। पत्रकारिता की साख को लेकर बड़ा संकट छाया हुआ है। आज पत्रकारिता मिशन नही होकर व्यापार हो गया है।
उन्होने कहा कि बड़े एवं छोटे सभी मीडिया पर आज सेठों का कब्जा हो गया है। इनमें प्रिंट मिडिया हो या इलेक्ट्रोनिक। दोनों को मालिक सेठों के अनुरुप चलना पड़ता है। पहले से ही नीति बनाई हुई होती है, जिसमें किसके खिलाफ खबर जा सकती और किसके नहीं। ऐसे में निष्पक्षता की बात करना बेमानी सा हो गया है। दूसरा बड़ा संकट सोशल मीडिया भी है, जिसमें कोई भी मिथ्या एवं झूठी खबरों को प्रसारित कर देता है। ऐसे में आम लोगों में मीडिया की खास को बहुत बड़ा धक्का लग रहा है।
उन्होने बताया कि आईएफडब्ल्यूजे करीब चार वर्षो से पत्रकार सुरक्षा कानून प्रदेश में लागू करने के लिए संघर्षरत है। इस बारे में प्रदेश में तीन बार एक साथ जिला कलेक्टर्स के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिए जा चुके है। विधायकों से भी मुख्यमंत्री के नाम पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने के अभिशंषा पत्र लिखवाए जा चुके है। इसी तरह सांसदों से भी प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखवाए और उनको भिजवाया गया था। हाल ही में जयपुर में भी आईएफडब्ल्यूजे ने शहीद स्मारक पर धरना देकर अपनी इसी मांग को दोहराया था। राज्य सरकार को अंग्रेजी व हिन्दी में अनुवाद कर पत्रकार सुरक्षा कानून का मसौदा दिया जा चुका है। हमने इसको लेकर दो बार जयपुर में सैकड़ों की संख्या में एकत्रित होकर विधानसभा घेराव कर, प्रदर्शन किया। उस वक्त सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और राज्य की मुख्य सचिव उषा शर्मा ने वार्ता की, आश्वासन दिया लेकिन अब तक कोई सार्थक परिणाम नहीं आए हैं। हम इस मसले पर लगातार संघर्ष कर रहे हैं जो जारी रहेगा।
पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता पर उन्होने कहा कि पत्रकारों एवं उनके परिजनों को पूर्ण सुरक्षा दी जाए। यह सुरक्षा 24 घंटे हो ताकि वे अपना काम सुरक्षित होने की भावना मन लेकर निर्भीक होकर कर सके। पत्रकारों के खिलाफ पुलिस एवं नेताओं द्वारा झूठे मामले दर्ज नहीं किए जाकर पहले उनकी प्रारंभिक जांच हो। पत्रकारों के पक्ष को पहले निष्नक्ष रुप से सुना जाए। कानून में ऐसी धाराएं शामिल हो, जिसमें पत्रकारों एवं उनके परिजनों पर हमला करने व धमकियां देने वाले को थाने मेें जमानत नहीं देकर कम से कम जिला सैशन न्यायालय के नीचे जमानत नहीं होने पर जेल भेजा जाए।
पत्रकारों की एकजुटता पर राठौड़ ने कहा कि पत्रकारों के एकजुट हुए बिना उनकी समस्याओं पर काम नहीं हो सकता। संगठन मजबूत होने पर ही सरकार उसकी ओर ध्यान देती है और मांगे भी तब ही मानती है। प्रदेश मेें दर्जनों संगठन होने का दावा किया जा रहा है। कई संगठन तो जेबी हो गए है। पत्रकारों को चाहिए कि पहले संगठनों के बारे में पूरी जानकारी लें कि कौन सा संगठन वास्तव में संगठन है और गतिशील है। पत्रकारों के हित के लिए काम कर रहा है। उसमें ऐसे लोग तो नहीं जो केवल अपने हितों की पूर्ति के लिए ही संगठन चला रहे है। इस तरह की पूरी जानकारी होने के बाद ही उसमें उनको सक्रिय रुप से काम करना चाहिए।
उन्होने कहा कि गुटनिरपेक्ष दुनिया में सबसे बड़े पत्रकार संगठन के रूप में इंडियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स का अपना गौरवशाली इतिहास है। आप जानते हैं कि इसकी स्थापना 28 अक्टूबर 1950 को नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर हुई है। आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में श्रमजीवी पत्रकारों के हितार्थ कार्य करने वाला यह देश का सबसे बड़ा पंजीकृत ट्रेड यूनियन संघ है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में 30.000 हजार से अधिक प्राथमिक एवं सहयोगी सदस्य 35 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में साधारण एवं 17 भाषाओं में करीब 1260 प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मिडिया संवाद समिति और टीवी में कार्यरत है। यही एकमात्र संगठन है जो बेहद सक्रिय है, पत्रकार हितों को लेकर निरंतर संघर्ष कर रहा है।


Support us By Sharing

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!