हर घर में होना चाहिए आरोग्यकारी पवित्र तुलसी का पौधा- शास्त्री
तुलसी के पौधे की पूजा से पूरी होती हर मनोकामना
रामद्वारा धाम में चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला
भीलवाड़ा, 29 सितम्बर। मानव जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी होकर सदैव ऑक्सीजन छोड़ने वाला पवित्र तुलसी का पौधा हर घर में अवश्य होना चाहिए। तुलसी का धर्म ओर आरोग्य का गहरा सम्बन्ध है। तुलसी के सूखने पर भी उसकी कंठी माला बनाई जाती है जो संतों का उज्जवल श्रृंगार माना जाता है। घर में तुलसी होने से धार्मिक, आध्यात्मिकता के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं आरोग्यता का भी लाभ प्राप्त होता है। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय श्री रामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा के अधीन शहर के माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा धाम में वरिष्ठ संत डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री (सोजत सिटी वाले) ने शुक्रवार को चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला के तहत व्यक्त किए। उन्होंने गर्ग संहिता के माध्यम से चर्चा करते हुए कहा कि तुलसी का सेवन धर्म लाभ तो देता ही है साथ ही मानव शरीर के लिए भी स्वास्थ्य की दृष्टि से भरपुर लाभ देने वाला होता है। प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रद्धति आयुर्वेद में प्रत्येक दवा के घटक में तुलसी के रस का प्रयोग होता है। मलेरिया जैसी घातक बीमारी के उपचार में भी तुलसी के पौधे से तैयार काढ़े को बहुत लाभदायक माना गया है। शास्त्रीजी ने कहा कि वृंदा का अर्थ ही तुलसी है।
एक बार कृष्ण वियोग में राधाजी ने अपनी प्रिय सखी से पूछा कौनसा व्रत या किसका पूजन करूं कि जिससे मेरा भगवान श्रीकृष्ण से शीघ्र मिलन हो जाए। इस पर सखी ने कहा कि आंगन में तुलसी का पौधा लगाओ ओर उसकी सेवा पूजा करो। उसके प्रताप से मनवांछित फल प्राप्त होगा। राधाजी ने अपने महल के मध्य में तुलसी का रोपण कर पूजा अर्चना की। पूजा के लिए शास्त्रोक्त नवधा भक्ति के सभी नियमों की पालना की। राधा की पूजा पूर्ण होने पर कृष्ण रूप श्याम ने श्याम तुलसी के रूप में धरती से प्रकट होकर राधाजी को दर्शन दिए ओर आशीर्वाद देकर गायब हो गए। तब से लोक व्यवहार में प्रत्येक घर में तुलसी पूजा करने के लिए तुलसी लगाने का प्रचलन शुरू हुआ। सत्संग के दौरान मंच पर रामस्नेही संत श्री बोलतारामजी एवं संत चेतरामजी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन भक्ति से ओतप्रोत विभिन्न आयोजन हो रहे है। भीलवाड़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु सत्संग-प्रवचन श्रवण के लिए पहुंच रहे है। प्रतिदिन सुबह 9 से 10.15 बजे तक संतो के प्रवचन व राम नाम उच्चारण हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रातः 5 से 6.15 बजे तक राम ध्वनि, सुबह 8 से 9 बजे तक वाणीजी पाठ, शाम को सूर्यास्त के समय संध्या आरती का आयोजन हो रहा है।