अणुव्रत समिति का सम्मान समारोह आयोजित

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अणुव्रत समिति का सम्मान समारोह आयोजित
अणुव्रत ऐसा आध्यात्मिक पथ्य है, स्वानुसाशन से निर्मित जीवन आंतरिक ऊर्जा जीवन को दिशा देगा-दिव्येशराम

शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी/ अणुव्रत समिति के तत्वावधान में शनिवार को महाप्रभु रामचरण कन्या विद्या पीठ में अणुव्रत सप्ताह के अंतर्गत आज जीवन विज्ञान दिवस व जिला स्तरीय अणुव्रत क्रिएटिविटी प्रतियोगिता का आयोजन तथा विजेताओं का सम्मान समारोह आयोजित किया गया।
रामस्नेही संतश्री दिव्येश राम महाराज के सान्निध्य में विद्यापीठ प्रधानाचार्य ओम प्रकाश कुमावत की अध्यक्षता एवं अणुव्रत क्रिएटीविटी प्रभारी उषा सिसोदिया के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह में संत दिव्येश राम ने पूज्य तुलसी द्वारा प्रतिपादित अणुव्रत के छोटे छोटे सिद्धांत सभी धर्मो का सार रूपी टेबलेट है। यह ऐसा आध्यात्मिक पथ्य है जिससे जीवन में स्वानुसाशन से निर्मित जीवन को सुरभित करने वाली आंतरिक ऊर्जा जीवन को दिशा देने लगती है। जिसमें अभावों के बावजूद मन की प्रसन्नता खंडित नहीं होती है। वरन जो प्राप्त है वह पर्याप्त है ऐसा संतुष्टि के भाव से कर्मरत रहने की प्रेरणा देती है।
उन्होंने कहा कि हमारे धर्म शास्त्र रामायण में हम देखते है कि श्री राम राजप्रासाद को त्याग कर भी जंगल में भी मंगल का अनुभव करते हैं। रावण सोने की लंका में संतुष्ट नहीं रहकर अनीति पूर्ण इच्छा पूर्ति बाबत अधम मार्ग का अनुसरण कर अमृत कलश को धारण करने के पश्चात बेमौत मारा जाता है।


मुख्य अथिति उषा सिसोदिया ने कहा कि सकारात्मक विचार धारा के द्वारा अच्छा अनुभव करते हुए अच्छा कार्य करते रहे। इसके लिए अणुव्रत विश्व भारती ने पूरे देश में एक लाख बच्चों तक पहुंचने के लिए 200 नगरों में अणुव्रत क्रीएटीविटी प्रतियोगिता आयोजित की। जिला स्तर पर आज निबंध निज पर शासन फिर अनुशासन, भाषण कुरुढीयों से आजादी, पोस्टर प्रदूषण से आजादी थीम पर लॉन्च प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसमें प्रथम स्थान प्राप्त कर्ता राज्य स्तर पर भाग लेंकर इस आयोजन के द्वारा अपनी अंतर्निहित शक्तियों का विकास करते हुए इस आयोजन को सार्थकता प्रदान करेंगे। जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर्ता कोे पुरस्कार उषा ने अपनी प्रसन्नता से प्रदान किए। पूरी अणुव्रत टीम का उपराना ओढ़ाकर सम्मान किया।


कार्यक्रम में जीवन विज्ञान के प्रयोग गोपाल पंचोली ने करवाते हुए बताया कि स्वस्थ वह नही है जो बीमार नही है। स्वस्थ वह है, जो अप्रिय स्थिति में समता में रह सके। विपरीत परिस्थिति के हुए गलत रास्ते पर न चले। शरीर से भी स्वस्थ रहे। इसके लिए आचार्य महाप्रज्ञ ने जीवन विज्ञान का हमें महत्त्वपूर्ण अवदान दिया है। इसके लिए महाप्राण ध्वनि, आसान ,दीर्घ श्वास प्रेक्षा अनुप्रेक्षा संकल्प, कृतज्ञता, सत्य की वंदना, शरीर की यौगिक क्रिया ,कायोत्सर्ग आदि को अपना कर पूर्ण स्वस्थ रह सकते है। उन्होंने इस अवसर पर यौगिक क्रिया का अभ्यास भी करवाया गया।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री ओमप्रकाश माली ने किया। अतिथियों का स्वागत अणुव्रत टीम द्वारा किया गया। अणुव्रत समिति का प्रतिवेदन अध्यक्ष विक्रम सिंह शक्तावत ने प्रस्तुत किया। उर्मिला कुम्हार ने अणुव्रत गीत गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समिति के पूर्व अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने अणुव्रत आंदोलन के बारे जानकारी दी। गीतकार सत्येंद्र मंडेला ने अणुव्रत संकल्प करवाए तथा गीत के माध्यम से अपनी भावनाओं कों रखा। संचिना अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक ने सुखी कौन लघु नाटिका प्रस्तुत की। संरक्षक देवेंद्र बूलिया ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विद्यालय स्तरीय प्रतियोगिता के 18 विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। संचिना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर संचिना के प्रतीक चिह्न को संत श्री दिव्येश रामजी, एसीसी प्रभारी उषा सिसोदिया को भेंट किया गया।


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