प्रकृति का हर अंश शिव स्वरूप इसलिए शिव की आराधना सबसे सरल – साध्वी सुहृदय गिरि

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प्रकृति का हर अंश शिव स्वरूप इसलिए शिव की आराधना सबसे सरल – साध्वी सुहृदय गिरि

राजसमंद 8 अक्टूबर। अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक साध्वी ऋतंभरा की प्रथम सन्यासी शिष्या साध्वी सुहृदय गिरि द्वारा की जा रही शिव महापुराण के चतुर्थ दिवस कथा में भगवान गणेश और कार्तिकेय के जन्म और लीलाओं का वर्णन किया गया कथा स्थल पर उपस्थित सभी भक्तो ने भगवान गणेश के जन्म का उत्सव मनाया और जमकर थिरके और जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो गया।
अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक साध्वी सुहृदय गिरि ने कहा कि सभी समाज व जातियों को जोड़कर सनातन और प्रकृति की रक्षा ही शिव की सच्ची आराधना है। प्रकृति का हर अंश शिव का ही स्वरूप है, इसलिए शिव की साधना सबसे सरल है। भगवान शिव सर्वत्र व्याप्त है और शीघ्र प्रसन्न हो जाने के कारण उन्हें आशुतोष कहा जाता है।
कथा के चैथे दिवस भगवान गणेश मूषक कार्तिकेय और शिव पार्वती के सुंदर प्रसंगों का वर्णन किया गया। कथा में शिव पार्वती कार्तिकेय गणेश मूषक की झांकियां सजाई गई जिस पर भक्तो ने पुष्पवर्षा की।
कथा के दौरान स्वामी सत्यश्रवा समाज सेवी पवन शर्मा सरोज शर्मा गणेश पालीवाल, नेता प्रतिपक्ष हिम्मत कुमावत डॉ विशाल लाहोटी, लोकेश मंडोवरा, राधाकृष्ण तिवारी, मधुप्रकाश अनुराधा लड्ढा, गिरिराज काबरा राधा माहेश्वरी, केशव शैलजा काबरा, रामप्रकाश सुरभि सोमानी, गौतम ओस्तवाल पल्लवी जैन राकेश राधा गौड, मोना शर्मा, किशन प्रजापत विषग सेन प्रीतम जागेटिया, विनोद तातेड पुष्कर तेली जगदीश जागेटिया मांगी लाल सेन राजेश्वरी सेन कमला उपस्थित रहे।


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