पिता ने हिम्मत नहीं हारी बेटी को बनाया गांव की पहली शिक्षिका

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प्रकृति ने छिना मां का दुलार; पिता ने हिम्मत नहीं हारी बेटी को बनाया गांव की पहली शिक्षिका

लालसोट 8 अक्टूबर। क्षेत्र की राहुवास तहसील क्षेत्र के एक छोटे से गांव शाहजहांनपुरा से आजादी के बाद पहली बेटी शिक्षिका बनकर गांव का नाम रोशन किया।
भाजपा मीडिया प्रभारी मोतीलाल शाहजहांनपुरा ने बताया कि पिंकी मीणा पिता रामफूल मीणा एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हंै जिन्होने जयपुर जिले की सांगानेर तहसील के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नरवरिया, तहसील सांगानेर, जयपुर में कार्य ग्रहण किया है।
पिकी मीणा के पिता की परिवार की स्थिति ज्यादा ठीक नहीं होने के बाद भी बेटी की पढ़ाई जारी रखी पिंकी मीणा की आयु 5 साल की थी जब उनकी मां का देहांत हो गया था लेकिन पिता ने हिम्मत नहीं हारी और पिंकी मीणा का प्रवेश राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय शाहजहांनपुरा में प्रथम कक्षा में दाखिला करवाया। तीन चार साल के अन्तराल में उनके एक भाई की मृत्यु हो गई उसके बाद तो पिता पूरी तरह से टूट चुका था। फिर भी पिता ने हार नहीं मानी बड़े बेटे को ग्रेजुएशन करवाई एक बेटी शिक्षिका से बड़ी थी उससे भी गांव से पांच किलोमीटर दूर दूसरे गांव में उच्च प्राथमिक की शिक्षा दिलाई पिंकी मीणा के परिवार में कुल 9 सदस्य थे। जिनमें पांच बहिनें और चार भाई जिनमें से एक बहिन और भाई की मृत्यु हो चुकी है। निरक्षर पिता ने सभी भाई बहनों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया सभी को शिक्षा दिलाई एक भी भाई बहिन को निरक्षर नहीं रखा।
पिता के मन में एक ही लालसा थी बेटा बेटी में से एक भी अगर सरकारी नौकरियों में जाता है तो मेरी शेष बची जिंदगी का उधार होगा पिता शिव भगवान के उपासक हैं करीब 30 सालों से नईनाथ धाम बांसखो में हर महीने मन्नतें मांगने जाता आ रहा है गांव से पहली लड़की शिक्षिका बनने पर ग्रामीणों ने खुशी जताई।


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