ब्रज के बारह वनों में कामवन परम श्रेष्ठ पांचवां वन है-लवानियां,
श्रीकृष्ण की लीलास्थलियों के दर्शन करने पहुंचे पश्चिम बंगाल श्रृद्धालु
कामां। ब्रज के बारह वनों में कामवन परम श्रेष्ठ पांचवां वन है,जिसके दर्शनार्थ लाखों श्रद्धालु कामवन आते हैं। तथा यहां श्रीकृष्ण की लीलास्थलियों के दर्शन व पूजनकर अपने आपको धन्य मानते हैं। पश्चिम बंगाल के नदिया,कोलकाता,हुगली,मायापुर,मालदा से आए सैकड़ों भक्तों ने आज कामवन दर्शन किए।
तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित मन्दिर श्री विमल बिहारी के सेवाअधिकारी गौरव विक्रम लवानियां ने कामवन महिमा का बखान करते हुए बताया कि आदिवृन्दावन कामवन का महत्व इसलिए है कि इस भूमि पर श्रीकृष्ण ने विभिन्न प्रकार की लीलाएं की थीं। प्रतिदिन श्रीकृष्ण गोचारण के लिए कामवन आते थे तथा विभिन्न लीलाए कीं। जिनके प्रत्यक्ष व जीवन्त चिन्ह आज भी यहां विद्यमान हैं। भक्तों कीं ऐसी मान्यता है कि यदि उनके चरण की रज का एक कण भी मस्तक से छू जाय तो जीवन धन्य हो जाएगा। इसीलिए बृज के विभिन्न तीर्थों की परिक्रमा की जाती है। भक्त परिक्रमा शुरू करते या समाप्त करने समय दण्डवत इसी आशा से करता है कि ठाकुर के चरण कमल की रज उसके मस्तक से लग जाए। समस्त कृष्ण भक्तों ने कामवन स्थित श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थलियों चरण पहाड़ी,भोजन थाली,खिसलनी शिला,भामासुर की गुफा,सेतुबन्ध रामेश्वर ,लंका यशोदा, लुकलुक कुण्ड,गया कुण्ड,श्रीकुण्ड,महाप्रभु जी की बैठक कामेश्वर महादेव, मनकामेश्वर,पांच पांडव,धर्मराजजी,गोविन्द देव वृंदारानी, चैरासी खम्भा, गोपीनाथ जी,पंचम पीठाधीश्वर गोकुल चन्द्रमा जी,सप्तम पीठाधीश्वर मदनमोहन जी सहित अनेकों मन्दिर ,देवालयों व तीर्थस्थलों के दर्शन किए।