पत्रकारिता को कलंकित कर रहे तथाकथित दलाल पत्रकार
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। हर कोई अखबार में काम तो करना चाहता है लेकिन उसके पीछे उस व्यक्ति के कई कारण होते हैं।आज पत्रकारिता बुरे दौर से गुजरने पर मजबूर है अब तो वह दौर आ चुका है कि पैसे के लिए यह अपने ही किसी साथी की बलि बहुत ही संयत भाव से चढ़ा सकते हैं। माना कि पत्रकारिता अब मिशन नहीं यह एक प्रोफेशनऔर बिजनेस हो चला है मगर क्या हर प्रोफेशन और बिजनेस का कोई एथिक्स नहीं होता चंद्र टुकड़ों पर अपनी जमीर बेचना ही अब कुछ के लिए पत्रकारिता बन गई है।आज के युग में मीडिया तीन भागों में बांट दिया गया है प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया।इन तीनों मीडिया के बीच एक और मीडिया है जो इन तीनों मीडिया को बदनाम करने के लिए अकेले सब पर भारी है जिसको आप कह सकतें हैं दलाल मीडिया।
जिनको खबरों से कुछ लेना-देना नहीं होता है देश के प्रति समाज के प्रति इनका कोई रुझान नहीं होता।लेकिन इनका भौकाल देख कर शासन प्रशासन भी गुमराह हो जायेगा।बड़ी बड़ी बातें नेता विधायक, सांसद ,मंत्री व अधिकारियों के साथ सेल्फ़ी महंगे सूट-बूट पहने अक्सर ये किसी न किसी कार्यालय में मिल जायेंगे।
और एक ख़बर लिखने वाले पत्रकार पर अपना प्रभाव दिखा कर रौब झाड़ेंगे ख़ास कर उस पत्रकार से जो निष्पक्ष पत्रकारिता करके इमानदारी से देश और समाज की सेवा करता है।कहीं वो डिजिटल मीडिया का स्वतंत्र पत्रकार हो तो उसे और दबाने की कोशिश करेंगे और अपने आकाओं को बतायेंगे की ये यूट्यूबर है।ऐसे दलाल तथाकथित पत्रकारों की पकड़ थाने चौकी पर बहुत बढ़िया से होती है जिससे चौकी प्रभारी थाना प्रभारी ऐसे तथाकथित पत्रकारों के कहने से बड़ी आसानी से उस पत्रकार पर फर्जी मुकदमा दर्ज करके न्यायालय का रास्ता दिखा देते हैं।
इन्हीं तथाकथित दलाल पत्रकारों के कारण प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया का आपसी तालमेल भी नहीं बैठ पाता।
और ख़बर का असर भी देखने को नहीं मिलता। पत्रकार वही होता है जो खबरों से आपको रुबरु कराता हो।जिसकी लिखी हुई ख़बर वीडियो सूट की गई खबर या लेख आपको मिलता हो।वो अखबार में छपी हो या टीवी चैनल पर चली हो या फिर डिजिटल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो।पत्रकार वो नहीं होता जो बाइक में,कार में, प्रेस लिखवा ले गले में आई कार्ड डाल ले और पुलिस चौकी, थानों पर, नगरनिगम ,एलडीए में रेलवे ट्राफिक आर टी ओ जैसे विभागों में दिखे और दलाली करे और उसका ख़बर कभी पढ़ने को देखने को न मिले।ऐसे लोग सही पत्रकार को नीचा दिखाने के लिए डिग्री की बात करेंगे पहनावा कठ काठी की बात करेंगे और अपने आपको सबसे बड़े बैनर का पत्रकार बता कर शासन प्रशासन को गुमराह करके एक अच्छे पत्रकार को बदनाम करेंगे।ऐसे लोगों से सावधान रहें सुरक्षित रहें और जो वाकई में देश के लिए समाज के लिए पत्रकारिता करता है उस पत्रकार का सम्मान करें तभी मीडिया जगत मजबूत होगा और आपको निष्पक्ष खबरें मिलती रहेंगी। सब जानते हैं कि भारत में देश की आजादी के लिए पत्रकारिता की शुरुआत हुई पत्रकारिता तब भी हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं में होती थी लेकिन भाषाओं के बीच में दीवार नहीं थी वह मिशन की पत्रकारिता थी अब प्रोफेसन की पत्रकारिता हो रही है। पहले हाथों से अखबार लिखे जाते थे लेकिन उसमें इतनी ताकत जरूर होती थी कि गोरी चमड़ी भी काली पड़ जाती थी। पत्रकार एक ऐसा शब्द है जिसकी रक्षा करना हर कलम के जादूगर का फर्ज है और यही सोच ले बहुत से कलम के हुनरदारों ने पत्रकारिता जगत में धूम धड़ाके से प्रवेश किया परंतु समाज ने उन्हें उनका फर्ज भुलाकर अपनी मुट्ठी में कैद करने की कोशिश शुरू कर दी। पत्रकार को मुट्ठी में कैद करने की चालें देश के गद्दारों, भ्रष्टाचारियों ,अवैध काले धंधे करने वालों ने पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचा कर कलम के हुनर को दबाने की कोशिश की और हरदम उनका प्रयास और तेज है। कुछ तथा कथित दलाल पत्रकारों का हाल यह है कि थानों और पुलिस चौकी में अपना चूल्हा चक्की गाड़ लिए हैं अगर कोई फरियादी फरियाद लेकर जाता है तो पहले उसका सामना दलाल पत्रकारों से होता है जो फरियाद पहुंचाने के नाम पर सौ-सौ रुपए वसूल करते हैं। ताज्जुब तो तब होता है जब यही तथाकथित दलाल पत्रकार पुलिस वालों से भी सौ-दो सौ वसूल करते हैं और यदि ना मिले तो उन्हें भी ब्लैकमेल करते हैं। अब तक तो पुलिस के बारे में सुनता था लेकिन पुलिस वालों को भी तथाकथित पत्रकारों के द्वारा ब्लैकमेल किया जाने लगा है।एक कलमकार का दुश्मन जब एक कलमकार ही हो फिर मीडिया तो कमजोर होगी ही।