सुदामा ब्रज सेवा समिति वृन्दावन के तत्वावधान में दर्शनार्थी पहुंचे कामां,
तीर्थराज विमल कुण्ड सहित मन्दिर देवालयों के किए दर्शन
कामां श्रीगंगानगर से आए सैकड़ों कृष्ण धर्मावलंबियों ने तीर्थराज विमल कुण्ड पर पहुंचकर तीर्थराज के दर्शन किए और कुण्ड की परिक्रमा लगाई। इसके बाद यात्रियों ने अन्य मन्दिर देवालयों के दर्शन व पूजा अर्चना की। तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित विमल बिहारी महंत संजय लवानिया ने माहात्म्य सुनाते हुए बताया कि गर्ग संहिता के अनुसार राजा विमल की सोलह हजार कन्याओं से विवाह कर श्रीकृष्ण ने उन्हें सारूप्य भक्ति प्रदान की तथा समस्त कन्याओं को लेकर कामवन पधारे व महारास किया जिसमें आनन्दित होकर विमल कन्याओं के नेत्रों से जो अश्रु निकले उन प्रेमाश्रुओ से विमलकुण्ड का प्राकट्य हुआ। जहां राजा विमल कृष्ण रूप में ,राजा विमल की सोलह हजार एक सौ कन्यायें राधा रूप में तथा स्वयं श्री कृष्ण बांसुरी बजाते भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। इनके दर्शन के बिना यात्रा सफल व पूर्ण नहीं मानी जाती ऐसा भक्तों का मत है।