हरिशेवा उदासीन आश्रम में सदगुरु बाबा शेवाराम साहब का 107 वां प्राकट्य उत्सव संपन्न
कष्ट सहकर ही होती है भगवत प्राप्ति-महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन
भीलवाड़ा- हरिशेवा उदासीन आश्रम के आराध्य गुरु बाबा शेवाराम साहब जी का 107वां वार्षिक प्राकट्य उत्सव शुक्रवार को शरद पूर्णिमा हषोल्लास के साथ मनाया गया। प्रातःकाल में सदगुरूओं की समाधि पर महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन, संतो-महात्माओं एवं अनुयायियों ने नाम-स्मरण किया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन हुआ। जिसमें श्रद्धालुओं ने आहूतियां दी। सत्संग, कीर्तन, प्रवचन हुए एवं श्री रामायण के अखण्ड पाठ का भोग साहब पड़ा। संतो-महात्माओं निर्वाण मण्डल द्वारा बाबा जी के 107 वें प्राकट्य उत्सव के उपलक्ष में लड्डू महाप्रसाद का भोग लगाया गया। आरती एवं अरदास प्रार्थना हुई। संतो-महात्माओं विप्रजनो का भण्डारा एवं आम भण्डारा हुआ। अन्न क्षेत्र की सेवा की गई। सत्संग प्रवचन की श्रंखला में महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने सतगुरूओं की कृपा का बखान किया एवं वे हम पर कब किस रूप में कृपा करते है। इसका हमें पता नहीं चल पाता है। उन्होंने सभी से सेवा सुमिरन करते रहने को कहा।
महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने सदगुरु के बलिहारी अपने ठाकुर के बलिहारी भजन के द्वारा बाबा शेवाराम की स्तुति की। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि धु्रव,प्रह्लाद,नामदेव और भक्त कबीर को भी भगवत प्राप्ति अपने जीवन के अत्यधिक दुख के समय में हुई थी। इसलिए यदि हमें ईश्वर कठिन परिस्थितियों में रखता है तो हमें इस बात के लिए आश्वस्त हो जाना चाहिए कि शीघ्र ही हम पर उसकी कृपा भी होगी। सनातन के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि नित नूतन चिर पुरातन, यह अपना अमर सनातन अर्थात सनातन अजर है, अमर है और कोई भी शक्ति सनातन का बाल भी बाँका नहीं कर सकती है।
संत मायाराम, संत राजाराम, संत गोविंदराम एवं बालक मंडली ने बाबाजी की धुनी एवं भजनो ने अपने गुरुओं का गुणगान किया। इस अवसर पर अजमेर के ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास, पुष्कर के शांतानंद उदासीन के महंत हनुमानराम, भावनगर से संत दीपक नंदलाल फकीर, राजकोट से महंत अमरदास, अजमेर से स्वामी ईश्वरदास, स्वामी अर्जनदास, इंदौर से महंत स्वामी मोहनदास व संत संतराम (चंदन), भीलवाड़ा के संत किशनलाल, पं. नवीन व कमल सहित अनेक संत उपस्थित रहे। देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं ने संतो-महापुरूषों निर्वाण मण्डल के दर्शन सत्संग प्रवचन का लाभ प्राप्त किया। इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होने से धर्मनिरपेक्ष एवं संस्कृति रीति रिवाज अनुसार सूतक लगने से विविध कार्यक्रम दोपहर तक संपादित किए गए एवं ग्रहणकाल मे भजन सुमिरन किये गये।