वन क्षेत्र शंकरगढ़ के पगुवार रानीगंज में हरे आम के पेड़ों को बिना परमिशन काटकर किया गया धराशाई
जिम्मेदारों की मिली भगत से हरे पेड़ों पर खुलेआम चल रहा आरा
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। जनपद के यमुनानगर विकासखंड वन रेंज शंकरगढ़ के अंतर्गत लगातार लकड़ी माफियाओं की सक्रियता से हरे पेड़ों पर आरा चल रहा है मगर इन पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं।और जानकार जिस तरह से बताते हैं कि लकड़ी माफियाओं का हाथ और वन विभाग का साथ है जो जंगल को पूरी तरह से सफा चट करने में लगा हुआ है। जिसका खामियाजा पर्यावरण के बढ़ते प्रदूषण से क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ेगा वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी सिर्फ अपने कुर्सी तक ही सिमट कर रह गए हैं। क्षेत्र में कितने पौधे लगाए गए हैं कहां-कहां लगाए गए हैं इनको कैसे आकलन नहीं हो पा रहा है। हरे पेड़ की अंधाधुंध कटाई से विभाग पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।जबकि केंद्र और प्रदेश की सरकार जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए लगातार प्रयासरत है। हर वर्ष वन महोत्सव के तहत करोड़ों की बजट से लाखों पौधे लगवाए जाते हैं लेकिन उनका आंकड़ा सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है। और यहां लकड़ी माफिया क्षेत्र को लगातार सेटिंग बनाकर बन की हरियाली को ध्वस्त करने में सक्रिय है। शंकरगढ़ वन रेंज के अंतर्गत रानीगंज पगुवार में वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से हरे आम के पांच पेड़ खुलेआम काट कर गिरा दिए गए। ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि पेड़ों के कटान की शिकायत करने के बावजूद भी विभाग द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। वही ग्रामीणों के द्वारा यह भी बताया गया कि शंकरगढ़ वन रेंज के दरोगा व रेंजर के ड्राइवर द्वारा लकड़ी माफियाओं को संरक्षण देकर प्रतिबंधित पेड़ों की कटान कराने में लगे हुए हैं।इस संबंध में जब वन विभाग के अधिकारियों से बात किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि उन्हें पेड़ों के कटान की कोई जानकारी नहीं है अगर हरे आम के पेड़ काटे गए हैं तो कार्रवाई जरूर की जाएगी। कुछ लोगों के द्वारा यह भी बताया गया कि शंकरगढ़ वन रेंज के सतपुरा, पगुवार, मौहरिया, बेमरा, बंधवा, जूही, देवरा, सिंहपुर सहित कई अन्य गांवों में लगातार हरा आम, महुआ शीशम, सागौन, जामुन आदि के हरे पेड़ों की कटान जोरों पर हो रही है। वहीं लकड़ी माफियाओं ने दबंगई से कहा कि अधिकारी हमारे साथ है तो मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। दैनिक समाचार पत्रों में लगातार लकड़ी माफियाओं के विरुद्ध खबरें प्रकाशित होने के बावजूद भी इन पर अभी तक अंकुश नहीं लग सका है।ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के कान में रुई ठूंसी हुई है अथवा आंखों पर भ्रष्टाचार का काला चश्मा चढ़ा हुआ है जो इन्हें हरे पेड़ों की कटाई की धमक की गूंज नहीं सुनाई देती।