चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, राजीनामा कर पक्षकारों के चेहरे खिले

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चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, राजीनामा कर पक्षकारों के चेहरे खिले

सवाई माधोपुर 9 दिसम्बर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सवाई माधोपुर के तत्वाधान में जिला मुख्यालय एवं अधीनस्थ तालुकाओं गंगापुर सिटी, बौंली, खण्डार एवं बामनवास पर 9 दिसम्बर को वर्ष की चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में आपसी सहमति से प्रकरणों के निस्तारण हेतु जिले में कुल 10 बैंचों का गठन किया गया।
राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ जिला मुख्यालय पर अतुल कुमार सक्सेना, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) सवाई माधोपुर द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। उन्होने बताया कि लोक अदालत सभी दीवानी मामलों, वैवाहिक विवाद, भूमि विवाद, बंटवारे या संपति विवाद, श्रम विवाद आदि गैर आपराधिक मामलों का निपटारा करती है तथा राष्ट्रीय लोक अदालत में राजस्व संबंधी प्रकरणों को भी शामिल किया गया है। लोक अदालत विवादों को निपटाने का वैकल्पिक साधन है, जहां विवादों का आपसी सहमति से निपटारा किया जाता है। यह कम से कम समय में विवादो को निपटाने के लिए एक आसान और अनौपचारिक प्रक्रिया का पालन करता है। लोक अदालत का आदेश या फैसला आखिरी होता है इसके फैसले के बाद कहीं भी अपील नही की जा सकती है।
इस अवसर पर श्रीमति श्वेता गुप्ता सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सवाई माधोपुर, श्रीमति पल्लवी शर्मा न्यायाधीश एस.सी./एस.टी कोर्ट सवाई माधोपुर, श्रीमति कृष्णा राकेश कांवत अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट सवाई माधोपुर, जितेन्द्र सिंह नरूका अतिरिक्त जिला कलेक्टर सवाई माधोपुर, यथार्थ शेखर आयुक्त नगर परिषद सवाई माधोपुर, हिमांशु शर्मा अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक सवाई माधोपुर, राधेश्याम वैष्णव एवं अभिभाषक संघ सवाई माधोपुर व विभिन्न वित्तीय संस्थानों के पदाधिकारीगण, अधिकारीगण, अधिवक्तागण, आमजन आदि उपस्थित थे।
श्रीमति श्वेता गुप्ता सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सवाई माधोपुर ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से न्यायालय में लंबित धनराज बनाम घनश्याम दावा व टी.आई. वर्ष 2016 से लंबित थी। जिसमें पक्षकारों के मध्य आपसी समझाईश व राजीनामा के माध्यम से निस्तारण किया गया। इसी प्रकार दो भाईयों द्वारा बैंक से लिए गए के.सी.सी. ऋण का भी आपसी समझाईश के माध्यम से निस्तारण किया गया। साथ ही न्यायालयों मंे लंबित 10 वर्षाे से अधिक पुराने प्रकरणों का भी राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निस्तारण किया गया।


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