साहित्यकार डॉ.ब्रजमोहन जावलिया का निधन
शाहपुरा-पेसवानी, शाहपुरा के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं शिक्षाविद् डॉ.बृजमोहन जावलिया का उदयपुर में निधन हो गया है। वो 95 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार उदयपुर में किया गया। उनके निधन से शाहपुरा में शोक की लहर छा गयी है। वो पिछले लंबे समय से उदयपुर में ही निवास कर रहे थे।
संस्कृत, हिन्दी और राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति एवं इतिहास के अनुसन्धान तथा लेखन के क्षेत्र में वे एक सुपरिचित व्यक्ति रहे है। राजस्थान प्राच्य विद्या संस्थान में रहते उन्होंने 20 से अधिक ग्रंथों का सृजन किया।
राजस्थानी भाषा की कहावतों और लोक जीवन शब्दावली पर भी उनके द्वारा किया गया कार्य उल्लेखनीय है। जिसे साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया। राजस्थानी भाषा के बहुमूल्य ग्रंथों का संपादन कर उन्होंने मायड़ भाषा की जो सेवा की वो सम्पूर्ण राजस्थानी भाषा के लिए गौरवमय रही है। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर से जावलिया को अकादमी का सर्वोच्च सम्मान मिला।
हिन्दी साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग से साहित्यरत्न की उपाधि प्राप्त डॉ. जावलिया ने राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान की उदयपुर और जोधपुर शाखाओं में अनुसन्धान अधिकारी के पद पर रहते हुए प्राचीन पाण्डुलिपियों के संरक्षण, संग्रहण और ग्रन्थ-सम्पादन तथा अनुसन्धान विषयक महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पादित किये।
महाराजा सवाई मानसिंह (द्वितीय) संग्रहालय, जयपुर के अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त पोथीखाना (हस्तलिखित ग्रन्थागार) के अध्यक्ष पद पर (1985 से 1989 ई.) रहकर डॉ. जावलिया ने अनुसन्धान विषयक अन्य कार्यों के अतिरिक्त संग्रह में उपलब्ध ज्योतिष विषयक ग्रन्थों का विस्तृत सूचीपत्र तैयार किया।