बीडीओ शंकरगढ़ के सख्त हिदायत के बावजूद भी प्रधानों व सचिवों के जुगलबंदी से विकास कार्यों के नाम पर हो रहे खेल पर ग्रामीणों में आक्रोश
प्रयागराज। ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। जनपद के यमुनानगर विकासखंड शंकरगढ़ की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना से कराए गए कार्यों की जांच कराई जाय तो सड़क निर्माण कार्य,इंटरलॉकिंग खड़ंजा निर्माण कार्य, आवास योजना, शौचालय निर्माण, गौशाला व तालाबों के खुदाई आदि कार्यों में तमाम गड़बड़ी निकाल कर सामने आएगी।ग्राम पंचायतों के विकास कार्य ग्राम प्रधान व सचिव की सहमति से होते हैं वह कार्य चाहे मनरेगा योजना से कराए जा रहे हों या फिर राज्य वित्त, चौदहवें/ पंद्रहवें वित्त व अन्य ग्राम निधि से कराए जा रहे हों हर कार्य का भुगतान ग्राम प्रधान व सचिव के हस्ताक्षर होने पर ही किया जाता है।वहीं मनरेगा कार्यों के भुगतान में तकनीकी सहायक, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी व कार्यक्रम अधिकारी की स्वीकृति पर ही भुगतान किए जाते हैं।लेकिन जब धांधली व गबन के नाम पर शिकायत होती है और जॉच कर कार्यवाही की जाती है तो ग्राम प्रधान पर ही ज्यादातर कार्यवाही की जाती है जबकि इस गबन और घोटाले में सभी लोगों पर कार्यवाही होनी चाहिए। क्षेत्र के तमाम ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए कहा कि विकास कार्यों के नाम पर हुए फर्जीवाड़े व गबन के आरोपी ग्राम प्रधान व अन्य पर कार्यवाही होनी चाहिए लेकिन फर्जीवाड़े व गबन में बराबर के हकदार रहे सचिवों पर कार्यवाही आखिर क्यों नहीं हो रही है जो जांच का विषय है।विकास कार्यों के नाम पर हुए फर्जीवाड़े व सरकारी धन के गबन में बराबर के हकदार रहे सचिवों के विरुद्ध कब कार्यवाही की जायेगी।